Accident News : आत्मा शरीर को छोड़ देती है। हादसे में शरीर के टुकड़े हो जाते हैं। लेकिन, ऐसा आपने शायद ही सुना होगा कि शरीर यहीं रह गया और कटे सिर ने 192 किलोमीटर लंबा सफर कर लिया। हां, यह सच है!
Uttar Pradesh : ट्रेन के इंजन में फंसा रह गया सिर, लोग देखकर हैरान रह गए
उत्तर प्रदेश के दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (DDU Junction) पर भारी आवाजाही रहती है। वहां एक ट्रेन पहुंची तो उसके इंजन पर एक आदमी का सिर लटका दिखा। देखते ही देखते सैकड़ों लोग जुट गए। सब हैरान कि यह सिर इस ट्रेन के इंजन पर आया कैसे, क्योंकि आसपास तो कोई ऐसा हादसा (Accident News) हुआ नहीं। किसी ने लटका तो नहीं दिया!
उधर उत्तर प्रदेश के ही कौशांबी जिले में एक शख्स का शव बगैर सिर के रेलवे ट्रैक के पास मिला। सिर गायब था और पुलिस परेशान कि खोजे तो कैसे? फिर रेलवे पुलिस नेटवर्क में संदेशों के जरिए पता चला कि हादसा कौशांबी जिले के सिराथू क्षेत्र स्थित शुजातपुर रेलवे स्टेशन के पास हुआ था और लगभग 192 किलोमीटर दूर तक उसी ट्रेन के इंजन में फंसकर सिर ने यात्रा कर ली। बेहद दर्दनाक!
Train Accident News : रात डेढ़ बजे एक ट्रेन से उतरा, दूसरी से हुआ हादसा
कौशाम्बी जिले के सिराथू क्षेत्र स्थित शुजातपुर रेलवे स्टेशन के पास दिल दहला देने वाली यह घटना हुई थी। मृतक युवक मोहित खरे (40) मध्य प्रदेश के रीवा जिले के ग्राम पताही, कोलहा तहसील सिरमौर का रहने वाला था। वह कानपुर में प्राइवेट नौकरी करता था और होली के अवसर पर घर लौटने के लिए अजमेर सियालदह एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा था। युवक रात के करीब 1:30 बजे शुजातपुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन से उतरा था और इसी दौरान दूसरी ट्रेन ने उसे अपनी चपेट में ले लिया, जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
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DDU Junction : प्रयागराज से आकर जीआरपी के जवान ले गए सिर, फिर पोस्टमार्टम
पुलिस की जांच में सामने आया कि जब जीआरपी के जवान शुजातपुर पहुंचे तो युवक का शव अधूरा मिला। राजकीय रेल पुलिस लगातार पता कर रही थी कि युवक का सिर कटा या कुचला गया तो उसके अवशेष कहां हैं। इसी बीच जानकारी मिली कि दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर पहुंची एक ट्रेन के इंजन में उसका सिर फंसकर लटका था। इसके बाद प्रयागराज से जीआरपी के जवान दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पहुंचे। शव का परीक्षण करने के बाद शाम को सिर को वापस भेजने की व्यवस्था की गई। सिर और धड़ का मिलान होने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की गई। इसके बाद परिजनों को शव सौंपा गया।
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किसकी लापरवाही कहेंगे इसे? ट्रेन की तो शायद नहीं!