Bihar News में बात शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के इस्तीफे से जुड़ी हुई। सोशल मीडिया पर वायरल इस खबर की पड़ताल में सामने आया चौकाने वाला तथ्य।
क्या शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पाठक ने इस्तीफा दे दिया है? क्या के के पाठक के इस्तीफे की वायरल खबर सच है? या जानबूझकर कर केके पाठक के इस्तीफे की गलत खबर फैलाई जा रही है? ऐसे तमाम सवाल आपके दिमाग में पिछले 48 घंटे से घूम रहे होंगे। आपने तमाम सोशल मीडिया और नेशनल से लेकर रीजनल मीडिया को भी कंगाल होगा। लेकिन हर जगह आपको संशय वाले जवाब ही मिले होंगे। इसलिए हम आपको बिल्कुल साफ सुथरा जवाब देने जा रहे हैं। जवाब तथ्यों पर आधारित है और अगर तथ्य सही हैं तो हम यह साफ कर दें कि केके पाठक ने ना तो इस्तीफा दिया है और ना ही केके पाठक को सरकार ने हटाया है।
आईएएस के इस्तीफे की प्रक्रिया : राज्य के मुख्य सचिव को सौंपना होता है इस्तीफा
केके पाठक के इस्तीफे की खबर पढ़कर आपका दिमाग अगर उलझ रहा हो तो उसे हम आसान शब्दों में उसे सुलझा देते हैं। हम आपको बताते हैं कि एक आईएएस के इस्तीफे देने की प्रक्रिया क्या है। किसी कैडर (राज्य) में तैनात आईएएस अफसर राज्य के मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को अपने इस्तीफे की चिट्ठी नहीं देता। एक आईएएस अधिकारी को अपना इस्तीफा राज्य के मुख्य सचिव को सौंपना होता है। अगर वो IAS अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है, तो उसे अपना इस्तीफा संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव को सौंपना जरूरी है। फिर वो मंत्रालय या विभाग अपनी टिप्पणियों या फिर सिफारिश के समेत उस IAS अधिकारी का इस्तीफा संबंधित राज्य कैडर को भेजता है।
इस्तीफे के बाद इतनी प्रक्रिया : प्रधानमंत्री तक पहुंचना होता है इस्तीफा
अगर आप सोच रहे हैं कि मुख्य सचिव को या फिर अपने मंत्रालय या विभाग के सचिव को इस्तीफा सौंप कर एक आईएएस के इस्तीफे की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो आप गलत हैं। इतने में ही किसी IAS का इस्तीफा मंजूर नहीं हो जाता है। इस्तीफे के बाद राज्य सरकार एक जांच करती है। जांच में ये देखा जाता है कि क्या इस्तीफा देने वाले अधिकारी के खिलाफ कुछ बकाया तो नहीं है। साथ ही अधिकारी की सतर्कता स्थिति या उसके खिलाफ भ्रष्टाचार जैसा कोई केस पेंडिंग है या नहीं। अगर ऐसा कोई भी मामला सामने आता है तो ज्यादातर मामलों में इस्तीफा खारिज कर दिया जाता है। अब सवाल ये है कि इस्तीफे को स्वीकार करने का अधिकार यानी सक्षम प्राधिकार किसके पास है। इसका जवाब है कि IAS के मामले में DOPT (Department of Personnel and training) में राज्य मंत्री के पास ये अधिकार होता है। ये भी जान लीजिए कि डीओपीटी के प्रभारी मंत्री होने की वजह से प्राइम मिनिस्टर यानी प्रधानमंत्री IAS को लेकर फैसला खुद लेते हैं। यानी एक आईएएस के इस्तीफे की चिट्ठी सीएम के पास सीधे न जा कर मुख्य सचिव से होते हुए प्रधानमंत्री तक पहुंचती है।
IAS KK Pathak प्रकरण : फर्जी साबित हुई इस्तीफे की खबर
तमाम प्रक्रियाओं को समझने के बाद अब यह समझना आसान है कि केके पाठक के इस्तीफे की खबर पूरी तरीके से फर्जी है। इस्तीफे की खबर का ना तो कोई बुनियाद है और ना ही कोई साक्ष्य। अगर साक्ष्य है तो साक्ष्य यह बताता है कि केके पाठक ने इस्तीफा नहीं दिया है। अब आपके मन में सवाल होगा कि केके पाठक के इस्तीफे की खबर अफवाह क्यों है? अभी तक इसको लेकर कोई भी नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। जबकि आमतौर पर ऐसे किसी भी मामले में अधिसूचना जारी करने का प्रावधान है। रही बात केके पाठक की, तो वो अधिकारी इस्तीफा क्यों देगा, जिसे खुद राज्य के सीएम व्यवस्था में सुधार के लिए पसंद करते आए हैं। ये भी जाहिर है कि जब भी सीएम नीतीश कुमार को किसी विभाग में परिवर्तन की जरूरत पड़ी है तो उन्होंने कुछ चुनिंदा आईएएस अफसरों पर भरोसा किया है। केके पाठक भी उन्हीं अफसरों में से एक हैं। ऐसे में केके पाठक के इस्तीफे की खबर फर्जी साबित हुई है।
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