Bihar News में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया की कई खबरों के बीच यह खबर आयी है कि अभ्यर्थियों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वजह राज्य सरकार के साथ कोर्ट खुद भी है।
पटना (बिहार)। बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से ली गई प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा में बैचलर इन एजुकेशन (B.Ed.) योग्यताधारी अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी करने तथा बहाली में शामिल करने को लेकर बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अभ्यर्थियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को लेकर उठ रही आशंकाओं को आधार बनाते हुए लिखा है कि जिसकी परीक्षा ली जा चुकी है, उसके रद्द किए जाने की आशंका समाप्त की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही परीक्षा हो चुकी
याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव तथा मीकू पाल ने बताया कि बीपीएससी के नोटिफिकेशन के अनुसार ही बीएड उतीर्ण अभ्यर्थियों ने प्राइमरी शिक्षक के पद पर आवदेन किया था और उनकी परीक्षा भी ले ली गयी। इसी बीच 11 अगस्त को देवेश शर्मा एवं राजस्थान सरकार वाद में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई के उस गजट को निरस्त कर दिया, जिसमें बीएड पास अभ्यर्थी को प्राइमरी में शिक्षक बनने के योग्य माना था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले ही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गयी थी, ऐसी स्थिति में उनका रिजल्ट जारी होना चाहिए और सफल अभ्यर्थियों को नौकरी दी जानी चाहिए। याचिकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और आजीविका का अधिकार), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हवाला दिया है।
असमंजस: शिक्षा विभाग ने नहीं लिया अबतक निर्णय
बीएड के अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक बनाए जाएंगे अथवा नहीं, इसपर अब तक शिक्षा विभाग निर्णय नहीं कर सकी है। कई बार बीएड के अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग में आवदेन देकर असमंजस की स्थिति को समाप्त करने की गुहार लगाई है। अबतक कोई निर्णय नहीं हो सका है। बिहार से 3.90 लाख बीएड पास अभ्यर्थी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनके रिजल्ट को लेकर संशय की स्थिति है। ऐसी स्थिति में अब अभ्यर्थी और सरकार आमने-सामने हैं। अब देखना है कि आखिर जीत किसकी होती है।