Bihar Politics में बात बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल से जुड़ी हुई। नीतीश की बीजेपी में वापसी में कितना समय है और तेजस्वी के पास क्या विकल्प बचा है?
बिहार की राजनीति में उठा बवंडर बस अब शांत होने ही वाला है। इस सियासी तूफान में लालू कुनबा पेड़ के उन सूखे पत्तों की तरह बिखर जाएगा जो अब तक हरा-भरा नजर आ रहा है। नीतीश कुमार ने बीजेपी से डील फाइनल कर ली है। सब कुछ लगभग तय हो चुका है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने का औपचारिक ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है। लेकिन बीजेपी कुछ फैसलों पर मंथन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया है।
नीतीश फाइनल : अब आरजेडी से रिश्ता तोड़ चुके
महागठबंधन के अंदर उथल-पुथल की खबरें लंबे समय से चल रही थी। लेकिन जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान कर केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसा दाव चला कि जेडीयू और राजद के बीच की दरारें और बढ़ गई। रही सही कसर लालू की लाडली बेटी रोहिणी ने पूरी कर दी। रोहिणी के ट्वीट को देख तिलमिलाए नीतीश ने फैसला कर लिया कि अब यहां रहना ठीक नहीं है। लिहाजा बीजेपी के साथ धीमी गति से चल रही बातचीत अचानक बड़े फैसले में तब्दील हो गई। सूत्रों का दावा है कि नीतीश कुमार की ओर से बीजेपी को फाइनल इशारा दे दिया गया है। यानी नीतीश एनडीए में जा रहे हैं। अब इसमें कोई संदेह की बात नहीं रह गई है।
बीजेपी को क्यों लग रहा वक्त : फैसले बड़े हैं, प्लानिंग लंबी है
अब सवाल उठ रहा है कि अगर बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच डील फाइनल हो चुकी है तो फिर फैसले में आखिर देरी क्यों हो रही है? इस सवाल का जवाब वैसे तो बेहद आसान है। लेकिन दो कदम आगे की चाल चलने वाली बीजेपी किसी भी फैसले को लेने से पहले तमाम बिंदुओं पर नफा-नुकसान देख लेना चाहती है। बीजेपी के लिए सबसे बड़ा टास्क लोकसभा चुनाव में अपने गठबंधन के दलों के साथ सीट शेयरिंग है। इसके अलावा सवाल यह भी है की क्या बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करेगी? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव सिर पर है और उसके ठीक कुछ महीने बाद बिहार विधानसभा का भी चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी को यह देखना है कि नीतीश कुमार के आने से लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा।
चिराग पासवान फैक्टर : नीतीश को बर्बाद करने वाले चिराग कैसे मानेंगे?
चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच तल्ख़ियां किसी से छिपी हुई नहीं है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार कर नीतीश को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। दर्जनों ऐसी सीटें थीं जहां पर जदयू के हार का कारण चिराग पासवान बने। ऐसे में अब जबकि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी होनी है तो खुद अमित शाह चिराग पासवान के साथ बैठकर यह तय करने वाले हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनका रोल क्या होगा। चिराग पासवान की सहमति मिलने के बाद ही किसी तरीके की घोषणा की जाएगी।
लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ करवाना चाहती है जेडीयू
सूत्रों के अनुसार, जदयू की ओर से कहा जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। जबकि भाजपा की ओर से अभी इसपर सहमति नहीं बन रही है। बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव प्रायोरिटी पर है। वहीं भाजपा यह भी चाहती है कि लोकसभा चुनाव के चार-पांच महीने बाद विधान सभा चनाव हो। ताकि, पार्टी को लोकसभा चुनाव की फिल्डिंग में कोई दिक्कत नहीं हो।
तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं लालू, मांझी ने दे दिया झटका, स्पीकर की कुर्सी से आरजेडी मजबूत
हमने कल ही इस बात की जानकारी दी थी कि राबड़ी आवास पर चल रही राजद की बैठक डैमेज कंट्रोल के लिए नहीं बुलाई गई है। असल में इस बैठक का मकसद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनना था। नीतीश के हटने के बाद तेजस्वी सरकार बनाने के लिए आरजेडी को 8 विधायकों की जरूरत है। सूत्रों का दावा है कि राजद ने जदयू के कई विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है। लेकिन दल-बदल कानून के तहत सदस्यता जाने का खतरा भी बरकरार है। हालांकि, बिहार विधानसभा में स्पीकर अवध बिहारी चौधरी राजद के हैं। ऐसे में विधानसभा के अंदर खेलने के लिए कुछ पत्ते राजद के पास भी सुरक्षित हैं। सूत्रों ने यह जानकारी भी दी है कि राजद की ओर से जीतन नाम मांझी की पार्टी हम को डिप्टी सीएम की कुर्सी ऑफर की गई थी। लेकिन पार्टी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।