Bihar News में Bihar Political Crisis सुर्खियों में है। बीजेपी खेमा जश्न में है। लेकिन लालू यादव ने हथियार नहीं डाले हैं। विधायकों के इस्तीफे की खबर क्यों आ रही है?
बिहार में सियासी उथल-पुथल के बीच भाजपा खेमा जश्न के माहौल में है। अंदर ही अंदर सरकार में वापसी को लेकर विधायकों में अभी से मंत्री पद की लालसा दिख रही है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है। क्योंकि सियासत के माहिर खिलाड़ी कहे जाने वाले लालू यादव ने अबतक हथियार नहीं डाले हैं। भले ही लालू यादव ने नीतीश कुमार को मनाने की लाख कोशिशें की। लेकिन दूसरी तरफ आरजेडी का एक अलग गेमप्लान भी चला रहा है। अब जो खबरें सामने आ रही है उसने भाजपा और जदयू को बेचैन कर दिया है। संभव है कि जल्द ही दोनों ही पार्टियों के विधायकों की परेड करानी पर जाए। क्योंकि खबर यह है कि जदयू के कुछ विधायकों पर इस्तीफा देने का दवाब है। यह दबाव जदयू की ओर से नहीं, बल्कि राजद की ओर से है। यह दबाव क्यों है उसे समझने के लिए सत्ता के सिंहासन पर बैठने में जो फार्मूला लगेगा उसे फार्मूले को समझाना पड़ेगा।
आरजेडी का फॉर्मूला : 120 तक पहुंचो, लालू के मन में चल रही ये बात
राबड़ी आवास पर ताबड़तोड़ बैठक चल रही है। इस बैठक में उस जादुई आंकड़े को छूने की कोशिश की जा रही है जो सरकार बनाने के लिए चाहिए। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। राजद, कांग्रेस और लेफ्ट की सीटों को मिलाकर 114 विधायक पूरे होते हैं। ऐसे में सरकार बनाने के लिए 8 और विधायक चाहिए। लालू खेमा इस वक्त आठ विधायकों को जुटाने में लगा है। सूत्रों के अनुसार, लालू की नजर जीतन नाम मांझी पर है। मांझी की पार्टी के पास चार विधायक हैं। इसके अलावा एआईएमआईएम के एक विधायक और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह पर भी राजद ने डोरे डाले हैं। इनको मिलाकर बहुमत का आंकड़ा तो नहीं पूरा होता, लेकिन राजद के पास 120 विधायक जरूर पूरे हो जाते हैं। अब खेल यहां पर दो विधायकों का है। लिहाजा लालू ने फिलहाल हथियार नहीं डाले हैं।
बड़ा खेला : जेडीयू के विधायक इस्तीफा दें तो लालू हो सकते हैं कामयाब
लालू ने जीतन राम मांझी की दुखती रग पर हाथ रखा है। मांझी से उस पल को याद करने के लिए कहा जा रहा है जब नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल कर दिया था। साथ ही, हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान मांझी को नीतीश के हाथों बड़ी बेज्जती का सामना करना पड़ा था। अगर मांझी पलटी मार देते हैं तो आरजेडी के लिए राह आसान हो जाएगी। क्योंकि इसके बाद जो होने वाला है वह जदयू के लिए बेचैन करने वाली खबर है। सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी को पता है कि 122 का आंकड़ा छूना आसान नहीं है। अब अगर वह जदयू के विधायकों को तोड़ते हैं तो दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता चली जाएगी और सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में एक अलग ही फार्मूला लगाया जा रहा है। यह फार्मूला है जदयू के कुछ विधायकों को इस्तीफा दिलवाने का। अगर जदयू के कुछ विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो एनडीए के पास विधायकों की संख्या कम जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 122 से नीचे आ जाएगा। ऐसी स्थिति में राजद के लिए बहुमत साबित करना आसान होगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर लालू के कहने पर जदयू के विधायक इस्तीफा देंगे तो क्यों? इस सवाल का जवाब उस विवाद में छिपा है जब कहा जा रहा था कि आरजेडी ने जेडीयू के कई विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है। शायद उन विधायकों को इस बात का दिलासा दिया जा रहा है कि सरकार बनने के बाद उन्हें बड़ा तोहफा दिया जाएगा। साथ ही, 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्हें उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ाया जाएगा। इसके अलावा भी इस्तीफा देने वाले विधायकों को बहुत कुछ देने की बात चल रही है।