Bihar News में खबर Bihar Political Crisis से जुड़ी हुई। नीतीश सरकार फ्लोर टेस्ट में पास होगी या फेल? क्या आरजेडी कर रही है कोई खेल? कांग्रेस के दावे में कितना दम?
बिहार की राजनीति में भूकंप के बाद आफ्टरशॉक के झटके महसूस किए जा रहे हैं। दावा तो यहां तक किया जा रहा है की फ्लोर टेस्ट के दिन नीतीश की पार्टी में एक बार फिर से बड़ा भूकंप आ सकता है। यह दावा भूकंप से उथल-पुथल कांग्रेस की ओर से किया जा रहा है। वहीं राजद की खामोशी आने वाले किसी तूफान की ओर इशारा कर रही है। इनसब के बीच जीतन राम मांझी का प्रेशर पॉलिटिक्स एनडीए को बेचैन कर रहा है।
क्या बहुमत साबित करने में कामयाब हो पाएंगे नीतीश?
महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने पाला बदलते हुए एनडीए से गठबंधन कर लिया। एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अब बारी सदन में बहुमत साबित करने की है। 12 फरवरी को मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करना है। लिहाजा सवाल उठा रहा है कि आखिर क्या वजह है कि फ्लोर टेस्ट को लेकर नीतीश सरकार परेशान है? इन वजहों को खंगालने पर मालूम पड़ता है कि जदयू को तोड़ने की जो बात कही जा रही थी, शायद उस बात में कोई तो राज छिपा है। सरकार गिरने के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि खेल अभी बाकी है। इसके बाद से आरजेडी बिल्कुल खामोश है। कहा जा रहा है कि राजद अंदर ही अंदर किसी रणनीति पर काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने नीतीश सरकार को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर दी है। कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर का दावा है कि नीतीश कुमार फ्लोर टेस्ट में फेल हो जाएंगे। क्योंकि उनके विधायक डिप्रेशन में हैं। कांग्रेस ने जदयू में बड़ी टूट का भी दावा भी किया है।
फ्लोर टेस्ट : आरजेडी का खेल, कांग्रेस का दावा, दिखेगा बड़ा राजनीतिक संकट
राजद की खामोशी, कांग्रेस का दावा और बीजेपी नेताओं का दिल्ली तलब होना, एक साथ कई सवालों को जन्म दे रहा है। सवाल यह है कि क्या सचमुच जदयू में कोई टूट होने वाली है? अगर ऐसा होता है तो फ्लोर टेस्ट में क्या होगा? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर फ्लोर टेस्ट के दिन जदयू के कुछ विधायक सदन में उपस्थित नहीं होते हैं तो नीतीश सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। ऐसे में बहुमत साबित करने का मौका आरजेडी को भी मिल सकता है। कांग्रेस का दावा है कि जदयू में बड़ी टूट हो सकती है। अगर इस दावे में थोड़ा भी दम है तो यह नीतीश सरकार के लिए चिंता का विषय है। दूसरी तरफ आरजेडी का बिल्कुल ही खामोश हो जाना, किसी रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। संभव है कि राजद चुपचाप इस रणनीति पर काम कर रही हो कि फ्लोर टेस्ट के दिन जदयू के कुछ विधायक सदन में पहुंचे ही नहीं। अगर ऐसा होता है तो बिहार में एक बड़े राजनीतिक संकट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
फ्लोर टेस्ट से पहले मांझी का प्रेशर पॉलिटिक्स, अब क्या करेंगे नीतीश?
बिहार में एनडीए सरकार के लिए जीतन राम मांझी एक मुसीबत बन गए हैं। क्योंकि अब मांझी अब दावा कर रहे हैं कि उन्हें महागठबंधन की ओर से सीएम पद का भी ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। मांझी ने इस दावे के साथ एक और दावा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को दो मंत्री पद मिलना चाहिए। उन्होंने अनिल कुमार सिंह को मंत्री बनाने की मांग की है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मांझी इस वक्त प्रेशर पॉलिटिक्स के मूड में हैं। उन्हें पता है कि जो भी डील करनी है वह फ्लोर टेस्ट के पहले ही होगा। इसलिए अब मांझी नीतीश सरकार के लिए मुसीबत बन गए हैं। मांझी को दरकिनार करना भी एनडीए के लिए फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में अब मांझी को कैसे कंट्रोल किया जाए यह बीजेपी और जदयू के लिए बड़ी चुनौती है।
सम्राट व विजय सिन्हा दिल्ली तलब, फ्लोर टेस्ट पर मंथन?
मीडिया में दावा किया जा रहा था कि बिहार में मंत्रिमंडल को लेकर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को भाजपा आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात अमित शाह और जेपी नड्डा से हो सकती है। लेकिन नीतीश सरकार ने मंत्रिमंडल का बंटवारा कर दिया है। सवाल यह उठा रहा है कि सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को मंत्रिमंडल पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया गया है या फिर बात कुछ और ही है? सूत्र बता रहे हैं कि फ्लोर टेस्ट में आ रही दिक्कतों को लेकर भाजपा भी परेशान है। ऐसे में अब भाजपा आलाकमान ने कमान संभालने की तैयारी कर ली है। अगर पेंच मंत्रिमंडल का होता तो बगैर बीजेपी की अनुमति के मंत्रिमंडल का बंटवारा संभव ही नहीं था। मतलब साफ है कि दिल्ली में चर्चा कुछ और ही चलेगी।
फ्लोर टेस्ट से पहले व्हिप जारी करती हैं पार्टियां, जेडीयू को तोड़ना मुश्किल
जब भी फ्लोर टेस्ट होना होता है, सभी पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप जारी करती हैं। इस व्हिप के जरिए पार्टियां अपने विधायकों को हर हाल में विधानसभा में मौजूद रहने के लिए कहती है। अगर कोई विधायक व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। ऐसे में इस बाद की उम्मीद बहुत कम है कि अगर जेडीयू ने व्हिप जारी कर दिया तो कोई विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं होगा। क्योंकि ऐसी स्थिति में उस विधायक की विधायकी चली जाएगी।