Bihar News में Bihar Police की घिनौनी करतूत का खुलासा हुआ है। लोग बेहद गुस्से में हैं। आनन-फानन में थानेदार समेत 3 को निलंबित किया गया है।
Bihar Police ने लांघी संवेदनहीनता की सीमाएं
बिहार पुलिस की संवेदनहीनता ने सीमाएं लांघ दी है। कर्तव्य के नाम पर करतूत करने वाले खाकीधारियों ने इस बार ऐसा काम किया है कि लोगों का गुस्सा उबल पड़ा है। भीड़ के उग्र होने की खबर लगते ही पुलिस महकमे के हाथ-पांव फूलने लगे। लिहाजा थानेदार समेत तीन पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए। यह मामला सड़क दुर्घटना में मौत के बाद बगैर पहचान किए लाश का अंतिम संस्कार करने का है। गया पुलिस की यह करतूत सुर्खियों में है।
Gaya में Police की करतूत से हिल जाएंगे आप
गया जिले से हैरान कर देने वाली खबर है। सड़क दुघर्टना में स्कूटी सवार एक युवक की मौत हो जाती है। पुलिस मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज देती है। जब परिजन डेडबॉडी की मांग करते हैं तो पुलिस को भी नहीं पता होता कि पोस्टमार्टम के बाद युवक के शव का क्या हुआ। गया शहर के करीमगंज मुहल्ले के रहने वाला शहाबुद्दीन 27 सितंबर को अपने पिता की स्कूटी लेकर घर से निकला था। 27 तारीख को ही जिले के परैया थाना क्षेत्र में सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई थी। शहाबुद्दीन की स्कूटी पर रजिस्ट्रेशन नम्बर भी थे और घटना स्थल से उसका मोबाइल भी बरामद हुआ था। इसके बावजूद पुलिस उसकी शिनाख्त नहीं कर सकी।
थाने पर स्कूटी, पिता को मिली खबर
परैया थाना की पुलिस ने शहाबुद्दीन के शव और उसकी स्कूटी को कब्जे में ले लिया था। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। इधर मृतक के परिजन शहाबुद्दीन को ढूंढ रहे थे। 8 अक्टूबर को शहाबुदीन के पिता गुलाम हैदर को अपने किसी परिचित से पता चला कि उनकी स्कूटी परैया थाने में पड़ी है। उन्होंने थाने से फोन पर सम्पर्क किया तो बताया गया कि स्कूटी सवार युवक की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। उसकी डेडबॉडी को डिस्पोजल करा दिया गया है। यह बात सुनते ही गुलाम हैदर और उनके घर वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
शव के अंतिम संस्कार का प्रमाण पत्र भी गायब
गुलाम हैदर ने परैया थाने में जाकर सम्पर्क किया। थानेदार मुकेश कुमार से जानना चाहा कि आखिर उनके बेटे को कहां और कब डिस्पोजल किया गया। थानेदार इस बात भी जानकारी नहीं दे सके। बस इतना कहा कि शव काफी दिनों तक पड़ा था तो उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा। परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार के बाबत प्रमाण पत्र मांगे। लेकिन थानेदार प्रमाण पत्र भी नहीं दे सके।
चौकीदार ने मनोज मांझी का नाम लिया, पुलिस यहां भी रही संवेदनहीन
इसके बाद गुलाम हैदर ने उस चौकीदार से सम्पर्क किया जिसने शव को डिस्पोजल किया था। चौकीदार ने उन्हें बताया कि डेडबॉडी को अंतिम संस्कार के लिए उसने गया के पोस्टमार्टम हाउस परिसर में ही किसी मनोज मांझी नाम के शख्स को सौंप दिया था। उसने उस शव को दफनाया या दाह संस्कार किया इसकी जानकारी नहीं है। पीड़ित परिजनों ने मनोज मांझी से पूछताछ कर शव की जानकारी तलब करने की मांग की। लेकिन पुलिस की ओर से कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई।
एसएसपी से मिलने की कोशिश भी रही नाकाम
पुलिस के इस संवेदनहीन रवैये से नाराज हो कर पीड़ित 10 अक्टूबर को एसएसपी से मिलने गए। यहां एसएसपी से भी उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद रविवार की शाम उन्होंने कैंडिल मार्च निकालने का फैसला किया। इस जानकारी के बाद पुलिस महकमा बेचैन हो उठा। पुलिस की टीम मृतक के घर पहुंची। आश्वासन देकर बाहर निकलते ही मुहल्ले के लोगों ने पुलिस को घेर लिया। पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
थानेदार समेत तीन निलंबित, आईजी को अनुशंसा
लोगों के आक्रोश को देख पुलिस को बवाल की आशंका हुई। लिहाजा सीनियर एसपी आशीष भारती ने परैया थानाध्यक्ष मुकेश कुमार, पुलिस सहायक अवर निरीक्षक कृष्ण कुमार गुप्ता और चौकीदार श्याम सुंदर पासवान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के लिए मगध रेंज के आईजी को अनुशंसा भेजी गई है। इसके साथ ही, टिकारी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया है।