Bihar News में Mukesh Sahani के पिता Jitan Sahani Murder Case फिर सुर्खियों में है। पुलिस के दावों के बीच अब VIP ने इन्वेस्टिगेशन पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
Jitan Sahani हत्याकांड : तफ्तीश पर उठे सवाल
मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी हत्याकांड में अब नया मोड़ आ गया है। एक तरह पुलिस हत्याकांड के खुलासे का दंभ भर रही है तो वहीं दूसरी तरफ मुकेश सहनी ने पुलिस की तफ्तीश पर सवाल उठा दिया है। सहनी के चचेरे भाई ने डीजीपी को एक पत्र लिखा है। इसके साथ ही, पार्टी के नेताओं ने डीजीपी से मुलाकात कर जांच की दिशा भटकाने का आरोप लगाया है। वीआईपी नेताओं के इस आरोप से पुलिस के दावे अब सवालों के घेरे में हैं। सवाल ये कि काजिम अंसारी के अन्य साथी और हत्या में उपयोग किया गया हथियार पुलिस अबतक क्यों बरामद नहीं कर सकी है।
DGP से मिले VIP नेता : हत्याकांड की तफ्तीश पर उठाए ये सवाल
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या मामले में पार्टी का एक शिष्टमंडल बिहार के पुलिस महानिदेशक से मिला। डीजीपी को आवेदन देकर अनुसंधान के भटकाने की आशंका जताई गई है। वीआईपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी ब्रजकिशोर सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल में पार्टी के कई नेता शामिल रहे। मृतक के भतीजे पवन सहनी द्वारा लिखे आवेदन पत्र में कहा गया है कि इस हत्या मामले में पुलिस द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान से अनुसन्धान की दिशा भटकने की आशंका है। आवेदन में कई सवाल भी उठाए गए हैं। आवेदन में कहा गया है कि अनुसंधान अभी तक अत्यंत ही प्रारंभिक अवस्था में है। मीडिया में 10 जुलाई की रात्रि का सीसीटीवी फुटेज चलाया जा रहा है। जिसमे बताया जा रहा है कि 10 से 15 लोग घटनास्थल के समीप लाठी डंडे के साथ खड़े हैं । सवाल उठाया गया है कि क्या इनलोगों की पहचान कर इनसे पूछताछ की गई है।
मीडिया को ब्याज वाले कागजात किसने दिए? हथियार कहां हैं?
आवेदन के जरिये सवाल उठाया गया है कि मीडिया में कुछ कागजात दिखाये जा रहे है। क्या ये कागजात तालाब से बरामद बॉक्स के अंदर से मिले है? अगर हां तो यह किसने दिया और देने वाले का मकसद कही अनुसंधान को भटकाने की मंशा तो नहीं है? इसकी जाँच होनी चाहिए। अगर ये कागजात बॉक्स के अंदर से नहीं मिले, तो फिर इन्हें कौन और किस कारण से वितरित कर रहा है।आवेदन में कहा गया है कि अभी तक पुलिस के अनुसार सिर्फ एक अपराधी पकड़ा गया है। अपराध में उपयोग किये गए हथियार की भी बरामदगी नही हो पायी है। फिर भी लगता है कि अनुसंधानकर्ता जल्दबाजी में अनुसंधान को बंद करना चाहता है। यह भी गौर तलब है कि अभी अन्य सह अभियुक्त आजाद हैं और उनसे पूछताछ नही हो पाया है। क्या एक मात्र अपराधी की बातों को मानकर अनुसंधान के निष्कर्ष पर पहुँचना उचित है? पत्र के जरिये मांग की गई है कि अनुसंधान में साक्ष्यों का संकलन किया जाये तथा जब सारे साक्ष्य इकट्ठे हो जाये तब उनका विश्लेषण करके निष्कर्ष पर पहुँचा जाये। अभी, जब साक्ष्य संकलन का कार्य चल ही रहा है तब हत्या के कारण के संबंध में निष्कर्ष पर शीघ्र पहुँच जाना न केवल जल्दबाजी है बल्कि अनुसंधान की दिशा के भटकने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में किसी षड्यंत्र की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।