Bihar News में Republican News की Exclusive खबर पढ़िए। प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर एक सीनियर आईएएस का बेटा है। ईडी ने बेटे को बुलावा भी भेज दिया है।
ED Raid : फाइल खुली तो लपेटे में आ गई बड़ी मछलियां
बिहार में पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी छापेमारी हुई। इस छापेमारी के दौरान बिहार के आईएएस अफसर संजीव हंस के कई ठिकानों पर ईडी ने दबिश दी। आरोप है कि पुल निगम के MD रहते हुए संजीव हंस ने एसपी सिंघला कंपनी को बेजा फायदा पहुंचाया। हालांकि केंद्र की सत्ता में जदयू के रहते हुए ईडी की रेड अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही थी। इस बीच खबर आई की ईडी की कार्रवाई से जदयू खेमे में खलबली तो है ही, नाराजगी भी है। लिहाजा जदयू की एक वरिष्ठ मंत्री ने बीजेपी के डिप्टी सीएम को फोन करना नाराजगी जाहिर की थी। अब जो खबर सामने आ रही है वह खबर जेडीयू के साथ ही आईएएस खेमे में भी खलबली मचाने वाली है। सूत्रों का दावा है कि बिहार के एक सीनियर मोस्ट आईएएस के बेटे को प्रवर्तन निदेशालय ने जांच के लिए बुलावा भेज दिया है। हालांकि इस बुलावे पर आईएएस के बेटे ने फिलहाल ईडी दफ्तर में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है। संभव है कि जल्द ही ईडी बाकायदा इस संबंध में नोटिस जारी करे।
CSR फंड का फेरा, रडार पर आईएएस का बेटा
सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय को कुछ इनपुट हाथ लगे हैं। इसके मुताबिक ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजीव हंस ने सीएसआर फंड का पैसा एक कंपनी को दिया था। सीएसआर फंड के इसी पैसे में ईडी को बड़ा झोल मिला है। बताया जा रहा है कि सीएसआर फंड का पैसा संजीव हंस के द्वारा जिस कंपनी को दिया गया था, उस कंपनी के तार बिहार के एक बड़े आईएएस अफसर के बेटे से जुड़ी हुई है। इसी पैसे की तलाश में ईडी ने इस आईएएस अफसर के बेटे पर को रडार पर ले लिया है। ईडी की तफ्तीश दबे पांव आगे बढ़ रही है। बिहार के पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में पावरफुल माने जाने वाले इस आईएएस के बेटे तक ईडी का पहुंचना संजीव हंस से जुड़े इस कांड के अन्य लोगों के लिए भी बड़ी मुसीबत है। सूत्रों का दावा है कि पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में पावरफुल माने जाने वाले और साहेब के दुलरुआ कहे जाने वाले इस आईएएस अफसर के बेटे को पूछताछ के लिए ईडी ने बुलाया है। लेकिन ED के बुलावे पर भी आईएएस अफसर के बेटे ने अब तक ED दफ्तर में दस्तक नहीं दी है।
साहेब के दुलरुआ हैं IAS, दो बार मिला एक्सटेंशन
ईडी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि जिस आईएएस अफसर के बेटे की कंपनी को सीएसआर फंड का पैसा मिला था, उस आईएएस अफसर की पहुंच साहेब तक है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि उनका कार्यकाल कई वर्ष पहले खत्म हो चुका था। इसके बाद भी उन्हें दो बार एक्सटेंशन दिया गया। उन्हें तीसरी बार भी एक्सटेंशन देने की कोशिश की गई। लेकिन दिल्ली दरबार से उसे मंजूरी नहीं मिली। लिहाजा साहेब ने पुरानी सरकार के एक राज्यादेश का इस्तेमाल करते हुए उन्हें पावर और पोजीशन दोनों दे दिया।
क्या होता है सीएसआर?
बड़ी कंपनियां सीएसआर के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर देती हैं। सीएसआर का मतलब कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी होता है। इसके तहत कंपनियां अपने बिजनेस से होने वाले प्रॉफिट का कुछ हिस्सा समाजिक और पर्यावरण संबंधी कार्यों में खर्च करती है। सीएसआर कानून 2013 के मुताबिक, सभी बड़े व्यवसायों को अपने कुल लाभ का 2% सीएसआर के लिए खर्च करना होता है।