KK Pathak News : चर्चित आईएएस केके पाठक की शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद से एक बार विदाई हो रही थी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नाम पर। वह रुक गई। अब दूसरे विभाग में ट्रांसफर के आदेश के छह दिन बाद नए आदेश ने धड़कनें बढ़ा दी हैं।
Bihar News : जहां हुए ट्रांसफर, वहां ज्वाइन नहीं कर रहे केके पाठक
केके पाठक फिर शिक्षा विभाग में वापसी करेंगे? यह सवाल 13 जून को उनके तबादले के बाद भी उठ रहा था, लेकिन बुधवार को सरकार की ओर से जारी एक आदेश के साथ इस तरह की चर्चा को इतनी ताकत मिल गई है कि शिक्षकों के साथ विभागीय कर्मचारियों-अधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। केके पाठक लोकसभा चुनाव के पहले तनातनी के बीच केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी मंत्री विजय कुमार चौधरी तक ने इसकी पुष्टि कर दी थी कि केके पाठक की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आवेदन को स्वीकृति मिल गई है। लेकिन, फिर केके पाठक रुक गए। आचार संहिता के दौरान सरकार उन्हें छेड़ नहीं सकी, लेकिन इसी 13 जून को सरकार ने उन्हें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से हटाते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया था। लेकिन, छह दिन बाद ही सरकार को उस स्थानांतरण आदेश में कुछ नई बातें जोड़नी पड़ गईं।
Bihar School News : स्कूलों की बढ़ गई छुट्टी
कॉल कर हटवाया नेम प्लेट तो सरकार ने दिया यह आदेश
Bihar News : केके पाठक को लेकर इस आदेश की नौबत और उसका संदेश
13 जून को बड़े पैमाने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था। उस आदेश में पहला नाम केके पाठक का था। अब छह दिन के अंदर ही 19 जून को सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकार के अवर सचिव के हस्ताक्षर और बिहार के राज्यपाल के आदेश से एक अधिसूचना जारी की गई कि 1990 बैच के आईएएस अधिकारी केके पाठक छुट्टी से लौटकर या अगले आदेश तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में योगदान नहीं देते हैं, तब तक 1992 बैच के आईएएस दीपक कुमार सिंह को उनका प्रभार अतिरिक्त रूप से मिला रहेगा। दीपक कुमार सिंह फिलहाल ग्रामीण कार्य विभाग में अपर मुख्य सचिव हैं।
यह आदेश जारी करने की नौबत इसलिए आ गई, क्योंकि पटना स्थित सचिवालय में केके पाठक के बुधवार के रवैये से सनसनी फैल गई थी। पाठक ने कॉल कर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव के रूप में लगाए नेम प्लेट को उखड़वा दिया था। मतलब, साफ है कि वह अपने स्थानांतरण आदेश को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। पाठक 13 जून को स्थानांतरण आदेश जारी होने के पहले से छुट्टी पर हैं।
Nitish Kumar के उस आदेश के बाद छुट्टी पर गए थे केके पाठक
विभागीय बैठक में बिहारियों और कर्मचारियों को गालीबाजी करते हुए वायरल होने के बाद भी केके पाठक को बिहार के नीतीश कुमार का वरदहस्त प्राप्त था। शिक्षकों की नियुक्ति के समय भी नीतीश ने गांधी मैदान में के के पाठक की सराहना की थी। पिछले कुछ महीनों से पाठक बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से सीधे भिड़ने के कारण चर्चा में थे। महागठबंधन सरकार में खुद से भिड़ने वाले तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश के जरिए हटवाने में कामयाब रहे केके पाठक ने पिछली ठंड में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर के आदेशों पर सवाल उठाते हुए सरकारी स्कूलों को बंद कराने को अवैध करार दिया था। इसके बाद पटना के डीएम ट्रांसफर हो गए थे।
इन सारी घटनाओं के कारण पाठक की ताकत को लेकर कई तरह की बातें चल रही थीं। 28 जनवरी को बिहार में एनडीए सरकार की वापसी के समय पाठक विश्वविद्यालयों के नाम पर राज्यपाल से भिड़ गए थे। इस भिड़ंत के दरम्यान ही पाठक के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की बात आई और राज्य सरकार की ओर से इस खबर की पुष्टि भी कर दी गई। लेकिन, पाठक कहीं गए नहीं। पिछले दिनों गर्मी से एक दिन में सौ से ज्यादा स्कूली बच्चों के बेहोश होने पर भी पाठक जब स्कूल बंद करने के लिए तैयार नहीं हुए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुद मैदान में उतरना पड़ा। सीएम ने मुख्य सचिव के जरिए छुट्टी का आदेश जारी करवाया तो पाठक अचानक उपार्जित अवकाश का आवेदन देकर निकल गए।