Bihar Police के अफसरों ने Nitish Kumar सरकार की फजीहत करवा दी। एक थानेदार पर हुई कार्रवाई को हाई कोर्ट ने रद्द करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।
Patna News : थानेदार पर एक्शन में खुद घिर गई सरकार
साल था 2021। कोरोना काल के कहर से दुनिया जूझ रही थी। हर तरफ लॉकडाउन के बाद का सन्नाटा था। तब पटना पुलिस के एक थानेदार की नौकरी भी क्वारंटाइन कर दी गई। आसूचना संकलन में लापरवाही के आरोप ने उस थानेदार की जिंदगी को क्वारंटाइन कर दिया। पटना में पोस्टिंग के साथ ही उनके थानाक्षेत्र में शराब की खेप मिल गई। यह छापेमारी उत्पाद विभाग ने की थी। लिहाजा इसे लोकल पुलिस के इंटेलिजेंस की बड़ी चूक मानते हुए थानेदार पर एक्शन का डंडा चलाया गया। यह मामला पटना के बाईपास थाने का है। बाईपास के तत्कालीन थानेदार मुकेश कुमार पासवान पर हुए एक्शन के खिलाफ उन्होंने विभागीय अफसरों तक खूब अर्जी लगाई। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लंबे समय तक निलंबित रहने के बाद इंस्पेक्टर से डिमोशन कर उन्हें सब इंस्पेक्टर बना दिया गया। लिहाजा इंस्पेक्टर मुकेश कुमार पासवान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने अपने फैसले में जो कहा उसने नीतीश सरकार की बड़ी फजीहत करवा दी।
Mukesh Paswan : डीजीपी का फैसला गलत, वापस मिली वर्दी
31 जनवरी 2021 की रात पटना के बाईपास थाना इलाके में उत्पाद विभाग की छापेमारी हुई थी। थाने से 500 मीटर दूर गोदाम से करीब दो करोड़ रुपये की विदेशी शराब मिलने के मामले में बाइपास थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। थानाध्यक्ष मुकेश कुमार पासवान के साथ चौकीदार लल्लू पासवान पर भी कार्रवाई की गई थी। तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल के आदेश पर आइजी मुख्यालय ने इससे जुड़ा आदेश जारी किया था। अब पटना हाई कोर्ट ने बाईपास थाना के निलंबित थानेदार मुकेश कुमार पासवान को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह की एकलपीठ ने निलंबित थानेदार की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद डीजीपी के आदेश को निरस्त कर दिया। वर्ष 2020 में बाईपास थाने से 500 मीटर की दूरी पर उत्पाद विभाग ने छापेमारी कर करीब चार लाख रुपये का विदेशी शराब जप्त किया था। तब तत्कालीन थानेदार मुकेश कुमार पासवान पर कार्रवाई की गई। पहले वर्दी छीनी गई। फिर थानेदार मुकेश पासवान को इन्स्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर बना दिया गया। पटना हाई कोर्ट में मुकेश पासवान ने निलम्बन को अर्जी दायर कर चुनौती दी। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा दिए गए डिमोशन आदेश को रद्द कर दिया।
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Patna High Court : पटना हाई कोर्ट में सरकार की फजीहत
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। कोर्ट का कहना था कि जब पूरे राज्य में शराबबंदी कानून लागू है तो फिर कैसे राज्य में शराब की बरामदगी हो रही है। शराब से जुड़ा कोई भी काम गैरकानूनी है। शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए और दोषियों को कठोर सजा देने का प्रावधान है।इसके बावजूद शराब को लेकर लोग गिरफ्तार हो रहे हैं। न्यायालयों में शराब को लेकर केस बढ़ता जा रहा है। कोर्ट ने अपने 24 पन्ने के फैसले में कहा कि जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू है तो फिर कैसे बिहार में शराब का अवैध तस्करी हो रही है। कोर्ट ने कहा कि “पुलिस, एक्साइज, राज्य वाणिज्यिक कर और परिवहन विभागों के अधिकारी इस शराबबंदी का स्वागत करते हैं। क्योंकि उनके लिए यह कमाई का जरिया बन गया है। शराब तस्करी में शामिल बड़े व्यक्तियों और सिंडिकेट ऑपरेटरों के खिलाफ कम मामले दर्ज होते हैं। इस कानून का सबसे ज्यादा असर शराब पीने वाले गरीबों या नकली शराब के शिकार हुए लोगों पर देखा जा रहा है। यह कानून मुख्य रूप से राज्य के गरीब लोगों के लिए ही मुसीबत का कारण बन गया है। कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं। पुलिस और शराब तस्करों के बीच मिलीभगत की बात सामने आती हैं।