Bihar News : रक्तदान के फायदे तो खूब बताए गए हैं, लेकिन ब्लड डोनेशन नहीं करने के नुकसान पर इस बार खूब विस्तार से बात की डॉक्टरों ने। स्व. जैनेंद्र ज्योति की चौथी पुण्यतिथि पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने खुलकर की मन की बात।
Blood Donation Camp : पटना में तीन डॉक्टरों समेत 66 ने दिया खून
रक्तदान करने से नुकसान नहीं होता है, यह बात बहुत बार बताई गई है। इस बार डॉक्टरों ने चौंकाने वाले कई नए रिसर्च की जानकारी दी। बताया कि रक्तदान नहीं करेंगे तो क्या नुकसान होगा! पटना के दरियापुर स्थित मां ब्लड सेंटर में एक तरफ रक्तवीर-समाजसेवी पत्रकार स्व. जैनेंद्र ज्योति की चौथी पुण्यतिथि पर रक्तदान कर डॉक्टर, वकील, पत्रकार, बिजनेसमैन और युवा समाजसेवी रक्तदान कर रहे थे और दूसरी तरफ जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘रक्तदान-अंगदान से पुनर्जन्म’ में यह बातें हो रही थीं। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इस मौके पर स्व. जैनेंद्र ज्योति के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए उनके अमूल्य योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे समाजसेवी अमर होते हैं। कुल 66 लोगों ने श्रद्धांजलि स्वरूप रक्तदान किया।
मंगल पांडेय बोले- जो मैं नहीं कर सका, जैनेंद्र ज्योति वह कर गए
स्व. जैनेंद्र ज्योति के चरणों में पुष्पांजलि निवेदित करता हूं। स्व. जैनेंद्र ज्योति ने पूरे समाज को रास्ता दिखाया। समाजसेवा का रास्ता दिखाया। जीवन जीना है स्वयं के लिए नहीं, दूसरों के लिए। अपने छोटे-से जीवनकाल में स्व. जैनेंद्र ज्योति ने समाज को यह सीख दी। मात्र 29 साल की उम्र में 49 बार रक्तदान करना बहुत बड़ी बात है। मैंने भी 45 साल की उम्र तक 50 बार से ज्यादा रक्तदान किया, लेकिन स्व. जैनेंद्र ज्योति की तरह मात्र 29 साल की उम्र में यह नहीं कर सका। ब्लड देने से कमजोरी की बात बिल्कुल गलत है। मैंने व्यावहारिक रूप से अनुभव किया है कि रक्तदान के बाद शरीर और ज्यादा ऊर्जावान रहती है। उन्होंने कहा- “पत्रकार-समाजसेवी जैनेंद्र ज्योति जी से मेरा भी मिलना होता था और दुर्भाग्य की बात है कि कोरोना के बुरे दौर ने हमें उनसे छीन लिया। मां ब्लड बैंक में उनके नाम से एक कक्ष का उनके लिए समर्पित होना अच्छी बात है। मां ब्लड सेंटर के निर्माण के काफी पहले से मैं इससे जुड़ा हुआ हूं और यह बहुत ही बड़ी समाजसेवा कर रहा है। जिसे रक्त की जरूरत होती है, उसे और उसके परिवार को पता चलता है कि यह कितना महत्वपूर्ण है। रक्तदान का नेक कार्य कर आप पूरी दुनिया भले न बदल पाएं, उस परिवार के लिए भगवान-स्वरूप बन जाते हैं। यह बहुत बड़ी बात है कि जैनेंद्र जी के श्राद्धकर्म में सामाजिक भोज की जगह परिवार ने रक्तदान से श्रद्धांजलि दी और फिर हर पुण्यतिथि पर उनकी मुहिम को जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन के जरिए जारी रखे हुए है। मां ब्लड सेंटर के सभी सदस्य और मुकेश हिसारिया जी ऐसी चीजों को याद रखते हैं, यह बहुत अच्छी बात है।”
मंत्री ने बताया- थैलीसीमिया पीड़ितों के लिए नीतीश सरकार क्या कर रही
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि “मां वैष्णो देवी सेवा समिति से पूर्व उप मुख्यमंत्री स्व. सुशील कुमार मोदी का गहरा लगाव था। वह अक्सर मुझे समाज से जुड़े मुद्दों को लेकर बहुत प्रेरक बातें बताते थे। जब मैं स्वास्थ्य मंत्री बना तो वह मुकेश हिसारिया जी के बताए कई मुद्दों को लेकर यह तक कह देते थे कि आप नहीं करेंगे तो और कौन करेगा! यही कारण है कि जब दोबारा मुझे स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी मिली तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के इलाज की फाइल बढ़ाई और मानवता की सेवा के लिए वह काम हो गया। अब 12 बच्चों का इलाज हो रहा है और आगे जल्द ही अगली खेप में ऐसे बच्चों का सरकार इलाज कराएगी।”
मरी हुई रक्त कोशिकाएं ताजा बन रहे खून में मिलकर घूमती हैं: डॉ. नेहा सिंह
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (AIIMS Patna) की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. नेहा सिंह ने कहा कि स्व. जैनेंद्र ज्योति रक्तदान और एम्म में भर्ती मरीजों को रक्त उपलब्ध कराने के सिलसिले में अक्सर मुझसे बात किया करते थे। हर बार लगता था, जैसे कोई उनका अपना ही भर्ती हो। लेकिन, बाद में पता चलता था कि वह किसी रिश्तेदार नहीं, समाज के लिए यह प्रयास करते थे। ऐसा व्यक्तित्व महज 29 साल में 49 बार रक्तदान और कई अन्य तरीकों से समाजसेवा करते हुए इतनी जल्दी चला जाएगा, इसकी कल्पना नहीं की थी। जब जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन ने मुझे ‘रक्तदान-अंगदान से पुनर्जन्म’ विषय पर परिचर्चा के लिए बुलाया तो मुझे लगा कि रविवार को इससे सकारात्मक उपयोग कुछ नहीं हो सकता है। मैं उस अज़ीम शख्सियत को श्रद्धांजलि देते हुए यह बताना चाहती हूं कि कोरोना ने भले ही उन्हें हमसे छीन लिया, लेकिन उनका संदेश प्रेरणा के रूप में समाज के सामने है और यहां लोग रक्तदान के लिए कतार में इंतजार कर रहे हैं।
एम्स पटना की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. नेहा सिंह ने समझाया- “खून न कोई बना सकता है और नहीं कहीं बेचा जा सकता है। यह हम अपने शरीर से दान ही कर सकते हैं। अगर हीमोग्लोबीन ठीक है और किसी गंभीर बीमारी की दवा न लेते हुए स्वस्थ जीवन जी रहे हैं तो पुरुषों को तीन महीने और महिलाओं को चार महीने में रक्तदान करना ही चाहिए। शरीर की रक्त कोशिकाएं एक समय बाद मर जाती हैं और अगर आप रक्तदान नहीं करते हैं तो वह मरी हुई रक्त कोशिकाएं ताजा बन रहे खून में मिलकर घूमती रहती हैं। यही कहीं कैंसर तो कहीं हार्ट और कहीं लिवर की बीमारी का कारण बनती हैं। अगर रक्तदान करेंगे तो मरी हुई रक्त कोशिकाओं के साथ घूम रहा खून दान हो जाएगा और वह काम लायक बनकर तीन लोगों की जिंदगी बचाएगा। दूसरी तरफ आपके खून में ऊर्जा देने वाली रक्त कोशिकाएं नए ब्लड के जरिए बनकर घूमेंगी। इसलिए, रक्तदान जरूर करें। बहुत दूर नहीं तो करीब के अच्छे ब्लड बैंक में करें। मैंने मां ब्लड सेंटर आकर इसकी उच्चस्तरीय सुविधाओं को देखा है और यही कहूंगी कि आसपास रहने वालों को तो जरूर यहां आकर रक्तदान करना चाहिए। जिन्हें जो स्तरीय ब्लड बैंक नजदीक लगे, वहां जाकर रक्तदान करें।” परिचर्चा में मौजूद लोगों की मांग पर उन्होंने कहा कि जो ब्लड पटना एम्स में उपलब्ध नहीं होगा, उसे मां ब्लड सेंटर से रास्ते में बगैर क्वालिटी खराब हुए मंगाने की दिशा में वह पहल करेंगी। मां ब्लड सेंटर से पहले भी रक्त गया है और आगे भी जाएगा। इस प्रक्रिया और सहज-सुगम बनाने के लिए संबंधित विभागाध्यक्ष और एम्स निदेशक से विमर्श का भी उन्होंने भरोसा दिलाया।
दूसरे डॉक्टरों को भी बताऊंगा मां ब्लड सेंटर की खूबियां: डॉ. वी. पी. सिंह
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में सेवा के बाद पटना में रहकर कैंसर विशेषज्ञ के तौर पर मरीजों को राहत दे रहे डॉ. वी. पी. सिंह भी स्व. जैनेंद्र ज्योति को श्रद्धांजलि देने और ‘रक्तदान-अंगदान से पुनर्जन्म’ विषय पर परिचर्चा में शामिल होने के लिए आए थे। मंच से अपना अनुभव शेयर करते हुए उन्होंने कहा- “मां ब्लड सेंटर की सुविधाओं के बारे में मुझे बहुत जानकारी नहीं थी, लेकिन कुछ मरीजों को खून नहीं मिल रहा था और वह भटक रहे थे जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन ने उन्हें मां ब्लड सेंटर से खून दिलवाया। इसी दौरान मुझे मां ब्लड सेंटर की सुविधाओं से अवगत कराया गया। आज मैंने आकर देखा तो यह महसूस हुआ कि यह मेरी उम्मीद से बहुत आगे है। यहां हर रक्त समूह का खून हर कंपोनेंट के रूप में जितनी जांच और जितनी प्रक्रियाओं के साथ सुरक्षित रखा जाता है, वह देखकर मैं अचरज में पड़ गया। मैं अपने सवेरा अस्पताल के मरीजों को यहां से खून लेने के लिए भेज भी रहा हूं और दूसरे डॉक्टरों से भी कहूंगा कि वह एक बार मां ब्लड सेंटर आकर देख लें।”
‘रक्तदान-अंगदान से पुनर्जन्म’ विषय पर परिचर्चा के दौरान डॉ. वी. पी. सिंह ने कहा कि “स्व. जैनेंद्र ज्योति ने 29 वर्ष की आयु में ही 49 बार रक्तदान किया था। नेत्रदान और देहदान का संकल्प ले चुके थे, हालांकि कोरोना के बुरे दौर में यह संभव नहीं हो सका। मुझे लगता है कि जैनेंद्र जी की यह बातें ही स्पष्ट करती हैं कि रक्तदान और अंगदान से कोई कैसे इस धरती पर पुनर्जन्म ले लेता है। उनका खून अभी कितने लोगों के शरीर में बह रहा होगा और उन 49 में से कुछ लोग भी रक्तदान कर रहे होंगे तो हर यूनिट से तीन लोगों में स्व. जैनेंद्र ज्योति का भी खून जा रहा होगा। मतलब, खुद को जिंदा रखने का एक जरिया भी है रक्तदान। रक्तदान से कोई कमजोरी नहीं होती। इसके अलावा कैंसर के बढ़ते मामलों को देखें तो रक्तदान के जरिए इसकी आशंका रोकने का प्रयास भी खुद ही करना चाहिए। रक्तदान करेंगे तो नया खून बनेगा और पुराने खून में जमे बेकार सेल का घनत्व घटेगा। इसलिए, सारी मिथकों को त्याग कर रक्तदान के लिए लोग आगे आएं।”
इतना कुछ करते हुए भी प्रचार पाने की लालसा नहीं थी जैनेंद्र में : शैलेश महाजन
दधिचि देहदान समिति के सक्रिय सदस्य शैलेश महाजन ने स्व. जैनेंद्र ज्योति के स्वभाव और सेवाभाव की चर्चा करते हुए अनुभव सुनाए। उन्होंने कहा- “वह लड़का कितना डाउन टू अर्थ था, यह बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। समाज के लिए इतना कुछ करते हुए भी उसके लिए प्रचार पाने की थोड़ी-भी चाहत नहीं रखना बड़ी बात होती है। ऐसे लोग कभी-कभी ही जन्म लेते हैं। मैं जैनेंद्र ज्योति को समर्पित करते हुए अपने और उनके गृह क्षेत्र मक्खाचक-बखरी बाजार में कुछ करना चाहता हूं। क्या करूंगा, यह अभी नहीं बता सकता लेकिन आंतरिक इच्छा है कि कुछ तो जरूर करूं कि वह लड़का कभी भुलाया नहीं जा सके।”
जैनेंद्र के बताए सुझाव के कारण बाढ़ पीड़ितों तक पहुंची मदद : रजनीकांत पाठक
शिक्षा और समाजसेवा से जुड़े रजनीकांत पाठक ने स्व. जैनेंद्र ज्योति के साथ अपने अनुभवों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे ‘अमर उजाला’ नोएडा में नौकरी से पहले एकता शक्ति फाउंडेशन में लंबे समय तक काम करते हुए जैनेंद्र सेवाभाव से भरे होते थे। पाठक ने कहा- “मैं और वह एक ही आंगन की पौध हैं। जिस लड़के को आशीर्वाद देने के लिए हाथ उठाता था, आज उनके प्रति श्रद्धांजलि देने आना बहुत दु:खद है। लेकिन, जैनेंद्र के रक्तदान को अभियान बनाने के लिए यह परिवार भी अनुकरणीय है। जैनेंद्र के सेवाभाव से एकता शक्ति फाउंडेशन का हर कर्मी वाकिफ है। एक बार बाढ़ में जब हमने लोगों को खाना मुहैया कराने में हिचक दिखाई तो उसने हमें रास्ता सुझाया और उसके जज्बे के कारण ही वह सेवा सफल रही। ऐसे कई मौके आए, जब मैंने जैनेंद्र का सेवा भाव देखा और वह भी निस्वार्थ। हरेक के लिए सहज उपलब्धता जैनेंद्र की पहचान थी। बगैर अपनी परेशानी जाहिर किए, लोगों की मदद करना जैसे खून में ही था। उनके दादा स्व. प्रभु नारायण प्रसाद वर्मा और पिता स्व. अमरेंद्र प्रसाद वर्मा प्रेरक व्यक्ति थे और इस परिवार में यही गुण आया है।”
मां वैष्णो देवी सेवा समिति से अंत तक जुड़े रहे जैनेंद्र ज्योति : मुकेश हिसारिया
ब्लड मैन के नाम से मशहूर और अमिताभ बच्चन के ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के स्टेज तक समाजसेवा की पहचान से पहुंचे मुकेश हिसारिया ने स्व. जैनेंद्र ज्योति के अंतिम रक्तदान की चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे कोरोना के मुश्किल दौर में जब खून का संकट था और थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के अभिभावक परेशान थे तो जैनेंद्र ज्योति नोएडा से मां वैष्णो देवी सेवा समिति के एक कॉल पर पटना आ गए। उन्होंने कहा कि मां वैष्णो देवी सेवा समिति से स्व. जैनेंद्र ज्योति का लगाव हमेशा रहा। कोरोना के समय वह समाजसेवा कर रहे थे और निधन से दो दिन पहले तक उन्होंने मुझसे मेरा ही नहीं, बल्कि मां वैष्णो देवी सेवा समिति से जुड़े कई अभिभावकों का हालचाल पूछा था।
हजारों लोगों के शरीर में जिंदा होगा जैनेंद्र का खून, रक्तदान कर बोले डॉ. अमित बंका
गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ. अमित बंका ने रक्तदान करने आए लोगों से अपना अनुभव भी शेयर किया और कहा- “रक्तदान से कोई नुकसान नहीं होता, कोई कमजोरी नहीं होती। मैं जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन के संदेश-वाक्य ‘न जानें कितने शरीर में लहू बनकर जिंदा है हमारा हीरा’ को बहुत प्रेरक मानता हूं। रक्तदान के जरिए हमारे एक यूनिट खून का कतरा तीन शरीर में दौड़ने लगता है। सोचकर देखिए कि 49 यूनिट रक्तदान करने वाले जैनेंद्र ज्योति आज भी कम-से-कम 147 लोगों में जिंदा होंगे। अगर उनमें से पांच-दस लोगों ने भी बाद में रक्तदान किया होगा तो स्व. जैनेंद्र ज्योति का खून कितने लोगों के शरीर में जिंदा होगा, सोचकर देखिए। हजारों शायद!”
रक्तदान करते हुए डॉ. सारिका राय ने कितनी डरावनी जानकारी दी!
मां ब्लड सेंटर के उपकरणों और व्यवस्थाओं को देखने के बाद जब डॉ. सारिका राय स्व. जैनेंद्र ज्योति की तस्वीर पर पुष्पांजलि कर दाएं घूमीं तो उन्हें चार लोग रक्तदान करते दिखे। मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय ने उत्साहित होकर पूछा- “मैं भी ब्लड दे सकती हूं?” और, फिर किसी से जवाब का इंतजार किए बगैर बायीं तरफ रजिस्ट्रेशन काउंटर पर आ गईं। रक्तदान के लिए सहमति का फॉर्म भरा और पीड़ित मानवता की सेवा के लिए खून देते हुए उन्होंने कहा- “जो लोग रक्तदान से बचते हैं या जो डरते हैं, उन्हें सबसे पहले तो इस खुशी का अंदाजा ही नहीं। दूसरी और बड़ी बात यह कि रक्तदान के जरिए हम जीवनदान तो दे ही रहे हैं, अपनी जान बचाने का रास्ता भी बना रहे। हमारे शरीर में अधिकतम खून की मात्रा तय है और सोचिए कि बेकार हो चुका खून जब शरीर के अच्छे खून में मिलकर दौड़ता होगा तो नुकसान करेगा या फायदा! इसलिए, रक्तदान करेंगे तो नया खून बनेगा और वह निश्चित तौर पर फायदेमंद होगा।”
इससे पहले, उन्होंने जैनेंद्र ज्योति मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘रक्तदान-अंगदान से पुनर्जन्म’ विषय पर परिचर्चा के दौरान स्व. जैनेंद्र ज्योति के जीवनपर्यंत सेवा भाव की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे निस्वार्थी और अच्छे व्यक्ति की जरूरत भगवान को भी पड़ी होगी, लेकिन वह अगर हमारे बीच होते तो आज 33 साल में 65 बार रक्तदान कर प्रेरक व्यक्ति के रूप में हर जगह दिखते। उन्होंने कहा कि मां ब्लड सेंटर में आकर पता चला कि बिहार में इतना अच्छा ब्लड बैंक भी है, जो निस्वार्थ सेवा कर रहा है।”
पुण्यतिथि के दु:खद दिन को रक्तदान कर सुखद बनाया : डॉ. दिवाकर तेजस्वी
जब डॉ. सारिका रॉय रक्तदान कर रही थीं, तभी पटना के जाने-माने फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी भी आ गए। उन्होंने कहा कि स्व. जैनेंद्र ज्योति से मेरी बहुत अच्छी बातचीत होती थी। वह मेरे छोटे भाई की तरह थे। दुर्भाग्य है कि हम उनकी पुण्यतिथि मना रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि श्राद्धकर्म के बाद हर बार पुण्यतिथि पर परिवारजनों ने रक्तदान से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने की परंपरा स्थापित की है। उन्होंने कहा कि वह पहली बार मां ब्लड सेंटर आए हैं और यहां की अत्याधुनिक व्यवस्था देखकर बहुत खुश हैं। उन्होंने इस खुशी को जाहिर करते हुए खुद ही रक्तदान के रजिस्ट्रेशन काउंटर का रुख किया।
फिर रक्तदान करते हुए उन्होंने कहा-“स्व. जैनेंद्र ज्योति का मां ब्लड सेंटर के निर्माण में योगदान यहां की पूरी टीम याद रख रही है और उनके नाम से एक कक्ष समर्पित किया है- यह जानना सुखद रहा। हम दु:खद दिन पर आए हैं, लेकिन सुखद यह है कि रक्तदान से समाजसेवा की स्व. जैनेंद्र ज्योति की मुहिम में मैं भी कुछ योगदान दे रहा हूं। रक्तदान तो समाज के लिए जरूरी है ही, हमारे शरीर के लिए भी फायदेमंद है। इसके बाद बना नया खून स्फूर्ति देगा और पुराना खून का कुछ हिस्सा निकलने से शरीर में टॉक्सिक पदार्थों की मात्रा भी घटेगी। मैं रक्तदान के जरिए अपने शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास अच्छा मानता हूं। अगर आप मेडिकली फिट हैं तो जरूर करें। मैंने देखा कि जिनका हीमोग्लोबिन या वजन कम है, उनका रक्तदान नहीं लिया जा रहा है। यह अपने आप में एक अच्छी बात है।”
Maa Blood Centre Patna : मां ब्लड सेंटर के सभी सदस्यों की अहम भूमिका रही
मां वैष्णो देवी सेवा समिति के अध्यक्ष जगजीवन सिंह बबलू, कोषाध्यक्ष नंदकिशोर अग्रवाल, अनंत अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, मनीष बनेटिया, राजेश बजाज, पंकज लहुरका, मुकेश कांत, किशन बंका, विनय बजाज, अशोक शर्मा, सज्जन चौधरी, सुनील, मनीष मित्तल आदि ने सक्रिय होकर इस रक्तदान शिविर और परिचर्चा को सफल बनाया। अध्यक्ष जगजीवन सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्व. जैनेंद्र ज्योति के योगदान को याद किया। मंच संचालन मनीष बनेटिया ने किया। साज-सज्जा प्रबंधन की जिम्मेदारी राजेश बजाज ने निभाई। अतिथियों का स्वागत कोषाध्यक्ष नंद किशोर अग्रवाल के साथ नरेश अग्रवाल ने किया। परिचर्चा का समापन मां ब्लड सेंटर के रक्त विशेषज्ञ डॉ. यूपी सिन्हा ने किया।