Bihar News में खबर कड़क आईएएस और शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक से जुड़ी हुई। केके पाठक को पहली बार एक आईएएस ने ही खुली चुनौती दे दी है।
ठसक और कड़क मिजाजी के आगे किसी की भी नहीं सुनने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का सामना अबकी बार एक आईएएस से ही हो गया है। मंत्री चंद्रशेखर की कुर्सी छीनने की ताकत रखने वाले केके पाठक को इस बार पटखनी देने का कम एक आईएएस ने कर दिखाया है। ये आईएएस हैं डॉक्टर चंद्रशेखर। पटना के डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर ने शिक्षा विभाग के निदेशक के पत्र को चुनौती दे दी है। इतना ही नहीं, पटना के डीएम ने शिक्षा विभाग को या यूं कह लें कि केके पाठक को कानून का पाठ तक पढ़ा दिया है। बता दिया है कि धारा 144 के उपयोग का अधिकार डीएम के पास है और इस अधिकार में कोई दखलंदाजी नहीं चलेगी।
डीएम को दिखाई हनक, वापस लें आदेश
दरअसल, यह पूरा मामला शीतलहर के बीच स्कूलों में छुट्टी देने से जुड़ा है। अलग-अलग जिले के डीएम जिलों में पड़ रहे ठंड को देखते हुए अपने हिसाब से स्कूलों में छुट्टी का आदेश पारित कर रहे हैं। इस बीच विभाग में वापसी के साथ ही केके पाठक ने न सिर्फ डीएम, बल्कि प्रमंडलीय आयुक्त तक की क्लास लगा दी। सीधा कहा कि आखिर किस अधिकार से आपने स्कूल में छुट्टी कर दी? इसके बाद 22 जनवरी को माध्यमिक शिक्षा के निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने पटना डीएम को एक पत्र लिखते हुए शीतलहर के कारण स्कूल बंद करने पर सवाल पूछ दिया।
इस पत्र में कहा गया कि अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के हस्ताक्षर से निर्गत विभागीय पत्र में किसी भी विद्यालय को बंद करने के पूर्व विभागीय अनुमति लेने की आवश्यकता है, जो पटना डीएम द्वारा नहीं लिया गया है। इसलिए निर्देशानुसार विभागीय प्रासंगिक पत्र में विहित निर्देश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में आप अपने जिले के सभी विद्यालयों को खुला रखने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। मतलब साफ है की निदेशक ने डीएम को अपना आदेश वापस लेने के लिए कहा है और यह भी कहा कि स्कूल को तत्काल खोल दिया जाए।
डीएम ने दिया करारा जवाब, आपका पत्र क्षेत्राधिकार से बाहर
शिक्षा विभाग ने पटना डीएम को ठसक दिखाई तो पटना डीएम ने भी आईएएस का रुतबा दिखा दिया। डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को पत्र का जवाब दिया है। इस जवाब में उन्होंने साफ कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में उल्लिखित है कि उन मामलों में जिनमें जिला दंडाधिकारी की राय में इस धारा के अधीन कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है और शीघ्र निवारण य उपचार करना वांछनीय है, वह ऐसे लिखित आदेश द्वारा किसी व्यक्ति को कार्य विशेष न करने या अपने कब्जे की या अपने प्रबंधाधीन किसी विशिष्ट संपत्ति की कोई विशिष्ट व्यवस्था करने का निर्देश उस दिशा में दे सकता है जिसमें जिला दंडाधिकारी समझता है कि ऐसे निर्देश से यह संभवाय है, या ऐसे निर्देश की या प्रवृत्ति है कि विधि पूर्वक नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, क्षोभ या क्षति का, या मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को खतरे का, या लोक प्रशांति भंग होने का, या बलवे या देंगे का निवारण हो जाएगा।
खुली चुनौती, आदेश को बदल के दिखाएं
डीएम ने शिक्षा विभाग को कानून का पाठ बड़े तरीके से पढ़ाया है। डीएम ने कहा है कि पटना जिले में अत्यधिक कम तापमान एवं शीत दिवस के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन के खतरे में पड़ने की प्रबल संभावना है। अतः जिला दंडाधिकारी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों के तहत न्यायिक आदेश निर्गत किया गया है। इसमें विभागीय अनुमति लेने का प्रावधान नहीं है और ना ही किसी गैर न्यायिक आदेश या पत्र से इस आदेश को बदला जा सकता है। सक्षम न्यायालय द्वारा इसकी केवल न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। इस प्रकार क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण आपका उक्त पत्र विधि विरुद्ध एवं और अप्रासंगिक है।
यदि आवश्यकता हो तो विधिक मंतव्य प्राप्त करने की कृपा करें। डीएम का यह पत्र बता रहा है कि उन्होंने केके पाठक को खुली चुनौती देते हुए यह तक कह दिया है कि मेरे आदेश को आप बदल भी नहीं सकते। इसके लिए आपको सक्षम न्यायालय जाना होगा। साफ है कि इस बार एसीएस केके पाठक को एक आईएएस ने ही कानून का पाठ पढ़ा दिया है।
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