Bihar News में भू माफियाओं के साथ अफसरों की मिलीभगत से जुड़ी खबर। अरबों की जमीन को कब्जा करने के लिए सरकारी दस्तावेज में भी फर्जीवाड़ा कर दिया गया।
Bihar Land Survey के बीच बड़े खेल का खुलासा
बिहार में भूमि सर्वे के बीच भू माफियाओं ने अफसरों के साथ मिलकर अरबों रुपए की जमीन पर कब्जा करने का प्लान तैयार किया था। इसके लिए सरकारी दस्तावेज यानी रजिस्टर टू पर फर्जी जमाबंदी भी कायम कर दी गई। लेकिन माफियाओं और स्थानीय अफसर की इस मिलीभगत की खबर जिलाधिकारी को लग गई। लिहाजा जिलाधिकारी ने तत्काल जांच के आदेश दिए। अब जांच में जो खुलासे हुए हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। इस खुलासे के बाद कई अफसर पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। मामले को दबाने के भी भरपूर प्रयास किया जा रहे हैं।
रजिस्टर टू का पूरा अभिलेख डॉट पेन से लिखा
गोपालगंज शहर स्थित राजेंद्र बस अड्डे की अरबों रुपए कीमत के जमीन की भू माफियाओं द्वारा फर्जी तरीके से जमाबंदी करा लेने की खबर ने खलबली मचा दी है। डीएम मोहम्मद मकसूद आलम ने तत्काल जांच के आदेश दिए। एसडीओ प्रदीप कुमार ने अंचल कार्यालय पहुंचकर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे, सीओ गुलाम सरवर, राजस्व कर्मचारी दिनेश मिश्र, प्रधान सहायक सुबोध झा को पूरे अभिलेख के साथ बुलाया गया। जब एसडीओ बस स्टैंड के जमीन की जमाबंदी की जांच करने लगे तो रजिस्टर- टू की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आ गया। रजिस्टर टू का पूरा अभिलेख डॉट पेन से लिखा हुआ था। जब बस स्टैंड वाली जमीन की जमाबंदी का पन्ना मिला तो वह फटा हुआ था। उस पन्ने का साइज छोटा था। उसे जेल पेन से दूसरी लिखावट में लिखकर उसमें जोड़ दिया गया था। जांच में सबके सामने स्पष्ट हो गया कि जमाबंदी को फर्जी तरीके से तैयार कर रसीद कटवा ली गयी है।
FIR का आदेश, नपेंगे अफसर व खिलाड़ी कर्मी
जांच में पाया गया है कि इस जमीन की पूर्व से जमाबंदी नहीं चल रही थी। बल्कि फ्रॉड कर रजिस्टर- टू में एक पन्ना जोड़ा गया मिला। एसडीओ की जांच के दौरान सीओ और राजस्व कर्मचारी जमाबंदी को बार-बार रद्द कराने की बात कहने लगे। इसपर एसडीओ ने कहा कि जब जमाबंदी हुई ही नहीं है तो रद्द किस बात का करेंगे। रजिस्टर टू के ऑरिजनल पन्ना को फाड़ कर गायब कर दिया गया है। अब इस फ्रॉड में शामिल लोगों की पहचान कर सीधे उनपर FIR करने का आदेश दिया गया। एसडीओ ने जमीन पर दावा करने वाले को भी अपना कागज पेश करने का माैका दिया है। इस बीच सीओ के द्वारा एक व्यक्ति को फोन कर बुलाया गया। उसके द्वारा कागजात लेकर आने की बात कही गयी। लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद वह नहीं आया।
CO की रिपोर्ट में झोल, पक्के दुकानों को फूंस का बताया
सीओ गुलाम सरवर की ओर से नगर परिषद को दी गयी रिपोर्ट में भी झोल नजर आ रहा है। सीओ की ओर से दी गयी रिपोर्ट में बस स्टैंड के जमीन के कुछ अंश पर कुछ व्यक्तियों के द्वारा अवैध रूप से दखल-कब्जा बताया गया है। नगर परिषद की ओर से बनायी गयीं पक्की दुकानों को भी फूस बता दिया गया है। पलानी एवं गुमटी दर्शाया गया है। इसमें दर्जन भर लोगों का दखल कब्जा पाया गया। रिपोर्ट में दुकान बंद रखे जाने की बात कही गयी है। जबकि दुकानें खुली हुई हैं। वह 1984 से नियमित नगर परिषद को किराया भी दे रहे हैं। लिहाजा रिपोर्ट भी संदेह के घेरे में है।