Bihar News में खबर सियासी और ब्यूरोक्रेटिक खेमे में खलबली से जुड़ी हुई। वैसे तो बिहार का सियासी आसमान साफ दिख रहा है। लेकिन सियासी बवंडर जल्द ही उठने वाला है।
बिहार की सियासत में फटने वाला है आफत का बादल
बिहार के सियासी आसमान में वैसे तो मौसम साफ नजर आ रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे सियासी गलियारों में शांति छाई है। लेकिन इस शांत मौसम में जल्द ही सियासी बवंडर उठने वाला है। शांति के बीच बड़े बवाल की चिंगारी जल्द ही धधकने वाली है। प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के बाद नीतीश सरकार में पहली बार किसी आईएएस की गिरफ्तारी हो सकती है। इस खबर के मिलते ही आनन-फानन में गुरुवार की देर शाम आईएएस संजीव हंस से सारे पद छीन लिए गए। मतलब साफ है कि सरकार तक यह बात पहुंच चुकी है कि संजीव हंस किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकते हैं। ऐसे में अगर पद पर बने रहते हुए उनकी गिरफ्तारी होती है तो सरकार की फजीहत होगी। लिहाजा संजीव हंस को ठिकाने लगा दिया गया। अब जांच की आंच बिहार के सीनियर मोस्ट आईएएस के बेटे तक पहुंच चुकी है। ऐसे में अंदर ही अंदर बिहार में बड़े सियासी बवाल की तैयारी चल रही है।
संजीव हंस सामान्य प्रशासन विभाग में बगैर किसी भूमिका के अटैच
नीतीश सरकार आने वाले खतरे की जानकारी मिल चुकी है। लिहाजा गुरुवार की शाम सरकार ने आईएएस संजीव हंस को ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के पद से हटा दिया। उनसे बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी वापस ले ली गई। उनकी जगह 1993 बैच के आईएएस अधिकारी संदीप पौंड्रिक को इन सभी जिम्मेदारियों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। 1997 बैच के आईएएस संजीव हंस के पास अब कोई जिम्मेदारी नहीं है और उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग में बगैर किसी भूमिका के अटैच कर लिया गया है।
एक रेप केस और…राजनीतिक से लेकर ब्यूरोक्रेटिक घराने में बवाल
संजीव हंस दो बड़े मामले में फंसे हुए हैं। एक महिला अधिवक्ता से बलात्कार के मामले में राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव और संजीव हंस के खिलाफ पुलिस की जांच में आरोप सही पाए गए हैं। इसी मामले को सुलझाने के लिए पैसे के लेनदेन के बाद संजीव हंस और गुलाब यादव के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की। अब संजीव हंस भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी फस चुके हैं। दोनों ही संगीन आपराधिक मामलों में संजीव हंस का बचाना बेहद मुश्किल है। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के जिस मामले में ED ने संजीव हंस पड़ शिकंजा कसा है, उस मामले में कई बड़ी मछलियां भी जाल में फंस गई हैं। शुरुआत बिहार के सीनियर मोस्ट आईएएस के बेटे से हुई है। ED ने आईएएस के बेटे को पूछताछ के लिए नोटिस भी दे दिया है। ऐसे में अंदरखाने राजनीतिक और ब्यूरोक्रेटिक घराने में बवाल मचा है।
बलात्कार के दौरान हुआ बच्चा, संजीव हंस हैं बाप?
महिला वकील ने वर्ष 2021 में थाने में केस दर्ज नहीं होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट के आदेश पर संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई। महिला का आरोप है कि 2016 में विधायक रहे गुलाब यादव ने उन्हें बिहार राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा देकर घर बुलाया और फिर रेप किया। इसके बाद 2016 से 2019 तक गुलाब यादव और संजीव हंस ने दिल्ली और पुणे के कई होटलों में महिला वकील के साथ बलात्कार किया। इस दौरान महिला गर्भवती हो गई। तब उसका अबॉर्शन करवा दिया गया। लेकिन दूसरी बार गर्भवती होने पर महिला ने 2018 में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला का आरोप है कि संजीव हंस इस बेटे के बाप हैं। महिला ने बेटे और संजीव हंस की डीएनए जांच करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। एक तरफ जहां संजीव हंस बलात्कार के मामले में आरोपी हैं। वहीं दूसरी तरफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय का हथौड़ा उनपर चल पड़ा है। अब अगर डीएनए रिपोर्ट में संजीव हंस के महिला वकील के बच्चे के पिता होने की पुष्टि हो जाती है तो संजीव हंस के लिए यह तीसरी बड़ी मुश्किल होगी।
भ्रष्ट आईएएस को बचाती रही नीतीश सरकार, पत्नी भी पार्टनर
हैरत की बात यह है कि बलात्कार केस के बावजूद आईएएस संजीव हंस पर नीतीश सरकार मेहरबान रही। उन्हें मलाईदार पद दिया जाता रहा। प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के बाद या खुलासा हुआ कि संजीव हंस, उनकी पत्नी और गुलाब यादव एवं गुलाब यादव की पत्नी एक साथ कई कारोबार में पार्टनर हैं। पुणे में संजीव हंस की पत्नी और गुलाब यादव का सीएनजी पंप है। गुलाब यादव की पत्नी अंबिका गुलाब यादव वर्तमान में मधुबनी के क्षेत्रीय स्थानीय निकाय से एमएलसी हैं। ED ने अंबिका गुलाब यादव के सरकारी आवास समेत अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की है। इसके साथ ही गुलाब यादव की बेटी बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं। इनके भी कई बैंक खातों की ED ने खंगाला है। सूत्रों के अनुसार गुलाब यादव की ठेकेदारी समेत अन्य कारोबार में संजीव हंस और उनकी पत्नी पार्टनर हैं। दोनों के बीच कई कारोबार में करोड़ों का पार्टनरशिप है। ऐसे में सवाल नीतीश सरकार पर भी है। अगर महिला ने शिकायत नहीं दर्ज की होती और ED की छापेमारी नहीं होती तो एक भ्रष्ट आईएएस को यूं ही सरकार की मेहरबानी से मलाईदार पद पर बने रहने का मौका मिलता रहता।
साहेब के दुलरूआ का बेटा फंसा, कई अफसर फंसेंगे, ED से हिली सरकार
भ्रष्ट आईएएस अफसर संजीव हंस को बचाने के फेर में अब जांच की आज बिहार के सीनियर मोस्ट आईएएस अफसर तक पहुंच गई है। कहा जा रहा है कि संजीव हंस इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री में अकेले डुबकी नहीं लग रहे थे। बल्कि कई और अफसर संजीव हंस के साथ मिलकर मलाई खा रहे थे। यही कारण है कि ED की जांच में बिहार के सीनियर मोस्ट आईएएस के बेटे का नाम सामने आ गया है। बिहार के पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में पावरफुल माने जाने वाले इस आईएएस के बेटे तक ईडी का पहुंचना संजीव हंस से जुड़े इस कांड के अन्य लोगों के लिए भी बड़ी मुसीबत है। सूत्रों का दावा है कि पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में पावरफुल माने जाने वाले और साहेब के दुलरुआ कहे जाने वाले इस आईएएस अफसर के बेटे को पूछताछ के लिए ईडी ने बुलाया है। लेकिन ED के बुलावे पर भी आईएएस अफसर के बेटे ने अब तक ED दफ्तर में दस्तक नहीं दी है। सूत्र बता रहे हैं कि जिस आईएएस अफसर के बेटे की कंपनी को सीएसआर फंड का पैसा मिला था, उस आईएएस अफसर की पहुंच साहेब तक है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि उनका कार्यकाल कई वर्ष पहले खत्म हो चुका था। इसके बाद भी उन्हें दो बार एक्सटेंशन दिया गया। उन्हें तीसरी बार भी एक्सटेंशन देने की कोशिश की गई। लेकिन दिल्ली दरबार से उसे मंजूरी नहीं मिली। लिहाजा साहेब ने पुरानी सरकार के एक राज्यादेश का इस्तेमाल करते हुए उन्हें पावर और पोजीशन दोनों दे दिया। अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि संजीव हंस ने प्रवर्तन निदेशालय को कई आईएएस अफसर के नाम बताएं हैं। लिहाजा जल्द ही बिहार में बड़े बवाल की उम्मीद है। सरकार चाहती है कि ED की यह कार्रवाई रुक जाए। लेकिन ED के हाथ पुख्ता सबूत लग चुके हैं। ऐसे में बिहार के कई सीनियर आईएएस ED की रडार पर हैं। अगर इन आईएएस के खिलाफ ईडी की कार्रवाई जारी रही तो आने वाले समय में राज्य से लेकर केंद्र तक सियासी हलचल बढ़नी तय है।
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