Bihar News में खबर मधुबनी से जहां मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का तुगलकी फरमान सुर्खियों में है। प्राचार्य ने सभी को दावत-ए-इफ्तार में शामिल होने का न सिर्फ फरमान जारी किया है, बल्कि कैंटिंग को बंद कर दिया गया है।
मधुबनी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के प्राचार्य का तुगलकी फरमान विवादों में घिर गया है। शुक्रवार को को मधुबनी मेडिकल कॉलेज में दावत-ए-इफ्तार के आयोजन को लेकर सभी को नोटिस जारी किया है। इस इफ्तार पार्टी में सभी मेडिकल स्टूडेंट्स, डॉक्टर, चिकित्सा शिक्षा से जुड़े स्टाफ, सभी नन टीचिंग स्टाफ और सभी बैच के मेडिकल के छात्र भाग लेंगे। विवाद इफ्तार पार्टी को लेकर नहीं, बल्कि इफ्तार पार्टी के कारण कैंटीन को बंद करने को लेकर खड़ा हुआ है। चूंकि इस मेडिकल कॉलेज में सभी धर्म के स्टूडेंट्स, डॉक्टर और स्टाफ हैं तो कैंटीन को बंद करना कहां तक जायज है।
नोटिस में क्या है पहले उसे समझिए
नोटिस संख्या 3478/24 (दिनांक 21/3/024) में कहा गया है कि दावत-ए-इफ्तार का आयोजन 2021 बैच के छात्रों द्वारा रखा गया है। इफ्तार शाम 5 बजे में आयोजित होगा और डायरी रात्रि के 8 बजे में होगा। इसमें सभी मेडिकल स्टूडेंट्स, डॉक्टर, चिकित्सा शिक्षा से जुड़े स्टाफ, सभी नन टीचिंग स्टाफ और सभी बैच के मेडिकल के छात्र भाग लेंगे। वहीं दिन के 1 बजे के बाद कैंटीन बंद रहेगा। जिससे ब्रेकफास्ट और लंच सस्पेंड रहेगा ।
विवाद की ये है वजह
मधुबनी मेडिकल कालेज में किसी खास समुदाय के छात्र, कर्मी, चिकित्सा शिक्षा से जुड़े लोग और डॉक्टर कार्यरत नही हैं। इसमें कई समुदाय के लोग पढ़ाई करते हैं। कई समुदाय के एमबीबीएस के छात्र हैं । दावत-ए-इफ्तार में सभी समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य के द्वारा तुगलकी फरमान जारी करने से विवाद बढ़ गया है। नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर स्टूडेंट ने कहा कि पत्र के माध्यम से सभी को इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है ।
आरजेडी के राज्यसभा सांसद का है कॉलेज, सभी ने साधी चुप्पी
बताया जा रहा है कि मधुबनी मेडिकल कॉलेज राजद के राज्यसभा सांसद डॉक्टर फैयाज अहमद का है। मधुबनी मेडिकल कॉलेज में आयोजित होने वाले इफ्तार की तैयारी कई दिनों से चल रही है। इसको लेकर जब इफ्तार आयोजन होने वाले स्थल पर मौजूद मधुबनी मेडिकल कॉल के कुछ लोगों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो रिपोर्टर को इफ्तार पार्टी में आने का न्योता देकर कुछ भी बोलने से परहेज किया गया।