Bihar News में इस समय एक चर्चित खबर शिक्षा विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के लिए आयी है। 107 शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के नाम पर एक बड़ी जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया है।
केंद्र सरकार One Nation One Election की कवायद कर रही है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में मुंह खोलने पर शिक्षक को निलंबित किया जा रहा है। यह सब खबरें तो चल रही हैं, लेकिन इस वक्त चर्चा में एक महत्वपूर्ण खबर यह है कि भागलपुर में एकमुश्त 107 शिक्षकों ने अनुमंडल पदाधिकारी को ईमेल और हार्डकॉपी में आवेदन दिया है कि अब वह उनका दिया कोई काम नहीं करेंगे। उनका बताया, मतलब Election Commission of India के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO Full form) की कोई जिम्मेदारी निभाएंगे। शिक्षकों ने ECI की ओर से निर्धारित कार्यों को छोड़ने का यह एलान करने के पीछे शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के ताजा आदेश का भी हवाला दिया है, जिसके अनुसार शिक्षक विद्यालय अवधि में कोई और काम नहीं कर सकते हैं।
निजी जीवन नहीं बच रहा, इसलिए मजबूरी है यह
शिक्षकों का कहना है कि सुबह से शाम चार बजे तक शिक्षा विभाग शिक्षक के रूप में काम कराएगा और फिर सामान्य प्रशासन विभाग के तहत जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिलाधिकारी उसके बाद का समय चाहता है। ऐसे में शिक्षकों का अपना कोई निजी जीवन नहीं बच रहा है। बच्चे पहचानना बंद कर रहे हैं। परिवार में रोज झगड़ा-झंझट हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि दोनों विभागों को आपसी समन्वय बनाते हुए काम कराना चाहिए था, लेकिन इस तरह का शोषण चलने वाला नहीं है। विद्यालय से अनुपस्थित होते ही कार्रवाई का डर रहता है और इधर बीएलओ के रूप में चुनाव संबंधित जिम्मेदारी नहीं पूरी होने पर भी कार्रवाई तय है।
चुनाव की तैयारी लटका सकता है शिक्षा विभाग
बिहार का शिक्षा विभाग फिलहाल पढ़ाई से ज्यादा अपर मुख्य सचिव केके पाठक के रोज आ रहे फरमानों के लिए चर्चित है। शायद ही कोई दिन बगैर फरमान के गुजर रहा है। सुर्खियों में रहे इन फरमानों के कारण शिक्षकों में खौफ है। राखी की छुट्टी खत्म करने पर दुख-दर्द का इजहार करने वाले एक शिक्षक को निलंबित कर विभाग ने इस खौफ को और भी बढ़ा दिया है। जब शिक्षकों ने देखा कि मुंह खोलना भी मुश्किल है तो एकमुश्त काम छोड़ना शुरू कर दिया है। भागलपुर की तरह अगर बाकी जिलों में यह सिलसिला चल निकला तो चुनाव आयोग की तैयारी को जोरदार झटका लग सकता है। वोटरों से संबंधित सारी जिम्मेदारी बीएलओ निभाते हैं और यह जिम्मेदारी शिक्षकों के लिए एक तरह से रिजर्व है। 2024 का लोकसभा चुनाव सिर पर है। तैयारी शुरू होने के साथ ही एक देश, एक चुनाव की आहट भी सुनाई दे चुकी है। ऐसे में बीएलओ का काम छोड़ना परेशानी का सबब हो सकता है।