Bihar Reservation एक बड़ा मुद्दा है। जाति आधारित जनगणना के आधार पर बिहार सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाया था, जिसे पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। नीतीश कुमार सरकार इसी पर सुप्रीम कोर्ट गई थी।
Bihar News : बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग रखी, लेकिन कोर्ट ने कह दिया…
बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार ने जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census) को आधार बनाकर बिहार में आरक्षण (Reservation in Bihar) का दायरा बढ़ा दिया था, जिसे पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था। पिछले हफ्ते बिहार विधानसभा (Vidhan Sabha) के सत्र के दौरान पटना हाईकोर्ट के रद्द फैसले के बावजूद विपक्षी दलों का महागठबंधन बढ़े हुए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराने को लेकर हंगामा कर रहा था। नीतीश कुमार सरकार आरक्षण को बढ़ाए जाने के अपने फैसले के पटना हाईकोर्ट में रद्द होने के खिलाफ अपील लेकर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) गई हुई है।
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता श्याम दीवान ने सोमवार को पक्ष रखा कि छत्तीसगढ़ के ऐसे ही मामले में उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश दे रखा है, उसी आधार पर पटना हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने का अंतरिम आदेश जारी किया जाए। कोर्ट ने बिहार सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने अंतरिम राहत से इनकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के नेतृत्व वाली बेंच ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई को प्रक्रिया में लाने कहा। मतलब, दोनों पक्षों की दलील सुनी जाएगी।
Patna High Court में रद्द आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में बहस सितंबर में होगी
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट आदेश दिया कि इस अपील पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा रही है। सितंबर में पटना हाईकोर्ट के इस आदेश पर बहस होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब साफ है कि फिलहाल बिहार सरकार का बढ़ा आरक्षण लागू नहीं होगा। पटना हाईकोर्ट ने इसे रद्द किया था और उच्च न्यायालय के उसी आदेश का अनुपालन बिहार सरकार को करना होगा। सितंबर में इस केस की सुनवाई शुरू होगी। इसमें सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसले को गलत करार देने की कोशिश करेगी, जबकि आरक्षण बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने वाली टीम अपनी ओर से बताएगी कि यह असंवैधानिक था।
इसी साल 20 जून को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग का आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत तक करने वाले कानून को रद्द कर दिया था। पटना हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि इससे संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार का हनन हो रहा है। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पिछले साल जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी करने के तत्काल बाद आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया था। जातीय जनगणना का निर्णय नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने लिया था, जबकि यह पूरा हुआ महागठबंधन सरकार में।
सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार में ही आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया, जिसमें तत्कालीन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की भी सहमति थी। इसी आधार पर सरकार ने 21 नवंबर 2023 को गजट प्रकाशित करते हुए तत्काल शिक्षण संस्थानों और नौकरी में अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अतिपिछड़ा को 65 फीसदी आरक्षण का लाभ देना शुरू कर दिया था। बढ़ आरक्षण का लाभ 21 नवंबर 2023 से 19 जून 2024 के बीच हुई नौकरियों में मिल चुका है। फिलहाल इसपर रोक होने के कारण शिक्षक भर्ती के तीसरे चरण का रिजल्ट देने में बीपीएससी को तकनीकी परेशानी आ रही है।