Bihar Politics : विधानसभा-परिषद में बीजेपी बनी सबसे बड़ी पार्टी, अध्यक्ष-सभापति की कुर्सी पर भी कब्जा, कैसे हुआ ऐसा?

रिपब्लिकन न्यूज, पटना

by Republican Desk
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Bihar News में चर्चा बिहार की राजनीति के पिच पर सबसे दमदार पहलवान होने की। कल तक आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने का दंभ भर रही थी। अब बीजेपी दोनों ही सदनों में सबसे ताकतवर हो गई है। लेकिन कैसे…?

RJD को पीछे छोड़ आगे बढ़ी BJP (फोटो : RepublicanNews.in)

JDU की वैशाखी पर BJP, फिर बन गई सबसे बड़ी पार्टी

भारतीय जनता पार्टी बिहार में भले ही जदयू की वैशाखी पर सरकार में टिकी हो। बहुमत के जादुई आंकड़े के छूने के लिए भले ही भाजपा ने नीतीश कुमार का सहारा लिया हो। कम विधायकों के बावजूद भले ही भाजपा ने जदयू को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी हो। लेकिन विधानसभा और विधान परिषद में अब नीतीश कुमार बड़े भाई के रोल में नहीं रहे। दोनों ही सदनों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। विधानसभा में जहां बीजेपी के सबसे ज्यादा विधायक हैं। वही विधान परिषद में भी बीजेपी के सबसे ज्यादा सदस्य हैं। यह लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद हुआ है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर लोकसभा चुनाव का विधानसभा और विधान परिषद से क्या लेना देना? इस खबर में हम आपकी यह उलझन भी दूर कर देंगे।

विधानसभा : RJD को पीछे छोड़ आगे बढ़ी BJP

विधानसभा में भाजपा के सबसे अधिक 78 विधायक हैं। यानी, विधानसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 78 है। जबकि राजद के विधायकों की संख्या 77 ही रह गई है। वहीं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के महज 44 विधायक ही विधानसभा में मौजूद हैं। मतलब, हैसियत के लिहाज से सबसे ज्यादा बीजेपी तो सबसे कम हैसियत जदयू की है। इसके अलावा विधानसभा में कांग्रेस के 19, माले के 11, हम के 3, सीपीआई के 2, AIMIM के एक और एक निर्दलीय सदस्य हैं। कुछ दिनों पहले तक संख्या बल के हिसाब से आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी बीजेपी से पीछे गई है।

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विधान परिषद : BJP का यहां भी दबदबा, RJD हो गई नंबर 3

बिहार विधान परिषद की बात करें तो यहां भी भाजपा 24 सदस्यों के साथ सबसे ज्यादा संख्या बल रखने वाली पार्टी है। लेकिन दूसरे नंबर पर यहां आरजेडी नहीं, बल्कि जदयू है। जेडीयू के 21 सदस्य विधान परिषद में मौजूद हैं। वहीं राजद के सिर्फ 15 एमएलसी हैं। अन्य पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस के तीन सदस्य हैं। जबकि सीपीआई, हम, एलजेपी और माले के एक-एक सदस्य हैं। जबकि 6 निर्दलीय सदस्य हैं।

दोनों आसन पर BJP का कब्जा, क्यों बदल गए आंकड़े?

लोकसभा चुनाव में राजद के तीन विधायकों के सांसद बनने और विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद राजद ने बड़ी पार्टी की हैसियत खो दी है। अब दोनों सदनों में भाजपा ही सिरमौर है। दोनों सदनों के आसन पर भी भाजपा विराजमान है। सदन प्रमुख की बात करें तो विधान सभा में नंद किशोर यादव अध्यक्ष हैं। जबकि विधान परिषद में अवधेश नारायण सिंह कार्यकारी सभापति हैं। मतलब यहां भी बीजेपी का दबदबा है। लोकसभा चुनाव में विधान मंडल के पांच सदस्य सांसद बन गए हैं। इसमें विधानसभा के चार एवं विधान परिषद के एक सदस्य शामिल हैं। सुरेंद्र प्रसाद यादव (गया), सुधाकर सिंह (बक्सर), सुदामा प्रसाद (आरा), जीतनराम मांझी (गया) और देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इन सदस्यों के इस्तीफे के कारण दोनों सदन में दलगत संख्या में फेरबदल हुआ है। आने वाले दिनों में राजद सदस्यों की संख्या और घट सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बजट सत्र के दौरान सदन में पाला बदलने वालों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अगर कार्रवाई हुई तो आरजेडी कोटे से पाला बदलने वाले विधायकों की संख्या और काम हो जाएगी। हालांकि कार्रवाई की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।

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