Bihar News : गिरिराज सिंह का केके पाठक पर हमला, शिक्षा विभाग संवेदनहीन व निरंकुश, सीएम नीतीश लें संज्ञान

रिपब्लिकन न्यूज, बेगूसराय

by Republican Desk
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Bihar News में चर्चा केके पाठक की। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिक्षा विभाग को निरंकुश और संवेदनहीन बताया है। एक तरह से गिरिराज ने अपनी ही सरकार पर तगड़ा हमला बोला है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिक्षा विभाग पर सीधा हमला बोला है

भीषण गर्मी के बीच स्कूल की टाइमिंग नहीं बदलने से एक बार फिर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक निशाने पर हैं। इस बार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिक्षा विभाग पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने इसे बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करार देते हुए विभाग को संवेदनहीन और निरंकुश करार दिया है। गिरिराज सिंह ने अपनी ही सरकार पर तगड़ा हमला किया है।

शिक्षा विभाग संवेदनहीन और निरंकुश : गिरिराज सिंह

गर्मी का कहर है और स्कूलों मार्निंग शिफ्ट में नहीं है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार सरकार पर जोरदार हमला किया है। गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इसपर पहल करने की मांग करते हुए कहा कि अभिभावक और शिक्षक सभी परेशान हैं। एक अप्रैल से मॉर्निंग की परिपाटी थी। उस परिपाटी को अभी तक चालू नहीं गया है। 40 डिग्री टेंपरेचर हो गया है। बच्चों को लू लग रहा है। ऐसे में गिरिराज सिंह ने पूछा है कि क्या शिक्षा विभाग को संवेदना नहीं है? बिहार का शिक्षा विभाग संवेदनहीन हो गया है? स्कूल सुबह 9 बजे से होता है, मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 से होगा। लेकिन अभी भी 9 बजे से हो रहा है। मॉर्निंग स्कूल करना चाहिए। अगर नहीं किया जाता है तो शिक्षा विभाग को संवेदनहीन कहा जाएगा। शिक्षा विभाग निरंकुश और संवेदनहीन होता जा रहा है। मुख्यमंत्री इसपर पहल करें।

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विभाग का तुगलकी फरमान, नहीं बदली गई स्कूल की टाइमिंग

पहले एक अप्रैल से गर्मी को देखते हुए स्कूलों के समय में में परिवर्तन किया जाता था और सभी स्कूल मॉर्निंग शिफ्ट में संचालित होती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक के स्कूलों में शिक्षण सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक संचालित हो रही है। इस वजह से इस भीषण गर्मी में बच्चों को पूरे दिन स्कूल में रहकर पढ़ाई हो रही है। शिक्षा विभाग ने इस बार स्कूलों को मॉर्निंग शिफ्ट में संचालित करने पर रोक लगा दी है। विभाग ने कहा है कि ग्रीष्मावकाश के बाद अगर अत्यधिक गर्मी पड़ेगी तो उस समय विचार किया जाएगा। विभाग के इस फैसले से सबसे ज्यादा छोटे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की जान जोखिम में डालकर हम उन्हें स्कूल नहीं भेज सकते।

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