Bihar News : मांझी की प्रेशर पॉलिटिक्स को Nitish Kumar ने किया फेल, BJP भी नहीं दे रही भाव, क्यों मांझी की नाव को लगाया किनारे?

by Republican Desk
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Bihar News में बात जीतन राम मांझी की। नीतीश सरकार पर फ्लोर टेस्ट से पहले दवाब बनाने वाले मांझी को क्यों नहीं मिला भाव?

मांझी को भाव नहीं मिलने के पीछे की गणित को समझ लीजिए

बिहार में नीतीश सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना है। तारीख तय है। विपक्ष के तमाम दावों के बीच एनडीए खुद को सेफ जोन में बता रही है। फ्लोर टेस्ट से पहले विभाग का बंटवारा कर नीतीश ने विपक्ष के साथ ही पूर्व मुख्य मंत्री जीतन राम मांझी को साफ संकेत दे दिया है। संकेत ये कि सरकार के स्वास्थ्य पर उनके दवाब की राजनीति का कोई असर नहीं होने वाला।

फ्लोर टेस्ट से पहले मांझी का प्रेशर पॉलिटिक्स, दवाब बनाने की कोशिश

बिहार में एनडीए सरकार के लिए जीतन राम मांझी खुद को किंगमेकर समझ रहे थे। मांझी को ऐसा लग रहा था कि फ्लोर टेस्ट से पहले सरकार पर दवाब बनाकर ज्यादा मंत्री पद अपनी पार्टी के लिए लिया जा सकता है। मांझी ने दावा किया कि उन्हें महागठबंधन की ओर से सीएम पद का भी ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। मांझी ने इस दावे के साथ एक और दावा कर दिया। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को दो मंत्री पद मिलना चाहिए। उन्होंने अनिल कुमार सिंह को मंत्री बनाने की मांग की। लेकिन मंत्रिमंडल बंटवारा कर सीएम नीतीश ने साफ कर दिया कि एनडीए मांझी के दवाब में नहीं आने वाली।

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सियासी गणित : मांझी रहे या जाएं, एनडीए की सेहत पर नहीं पड़ेगा असर

बिहार विधानसभा में राजद के पास सर्वाधिक 79 विधायक हैं। उसके साथ कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक हैं। कुल 114 विधायक हो रहे हैं। दूसरी तरफ, 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 78, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के 45, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक हैं। इनके अलावा, एक निर्दलीय विधायक सुमित सिंह भी साथ हैं। इस तरह, सत्ता पक्ष की संख्या 128 हो रही है। सत्तासीन दलों के 128 के मुकाबले अभी विपक्ष के 114 विधायक सामने हैं। असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास एक विधायक हैं, जो किसी तरफ नहीं। अब देखें कि जादुई आंकड़ा 122 है। मतलब, सत्ता के पास छह विधायक ज्यादा हैं और विपक्ष के पास आठ कम। अगर मांझी महागठबंधन के पास चले भी जाते हैं तो महागठबंधन के पास 118 विधायक ही पूरे होंगे। जबकि एनडीए से मांझी के जाने पर भी एनडीए के पास 124 विधायक रहेंगे। मतलब मांझी के जाने के बाद भी नीतीश सरकार बहुमत में रहेगी। यही वजह है कि नीतीश सरकार ने मांझी की नाव किनारे लगा दी है।

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