Bihar News : बिहार में आने वाला है सियासी भूचाल ! BJP के साथ Nitish की डील? Lalu पर नाराज तेजस्वी, Sushil Modi आएंगे बिहार?

by Republican Desk
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Bihar News में खबर बिहार में आने वाले संभावित सियासी भूचाल से जुड़ी हुई। बीजेपी और नीतीश के बीच डील की चर्चा। जेडीयू को तोड़ने की खबर। लालू पर तेजस्वी की नाराजगी। इन तमाम उठापटक के मायने क्या हैं?

खरमास खत्म और खेल शुरू होने वाला है

बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आने वाला है? सत्ता के सिंहासन पर बैठे कद्दावरों की कुर्सी हिलती नजर आ रही है? बिहार विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भले ही कमजोर, लेकिन किंगमेकर नीतीश (Nitish Kumar) की नाराजगी ने महागठबंधन के दलों को बेचैन कर दिया है। संकेत मिल रहे हैं कि खरमास खत्म और खेल शुरू होने वाला है। यह खेल महागठबंधन के भीतर महाभारत की तरह है। नीतीश के कमान से निकली तीर किसे भेदने वाली है, यह तो कुछ दिनों में साफ हो पाएगा। लेकिन शीतलहर में महागठबंधन कांपती नजर आ रही है।

क्या नीतीश व भाजपा में चल रही है डील? चिराग पर पेंच

नीतीश की महागठबंधन से नाराजगी जगजाहिर हो चुकी है। इंडी अलायंस (INDIA) की पांचवी बैठक में जिस तरीके से नीतीश ने संयोजक का पद ठुकराया है, उसके बाद कई संकेत मिल रहे हैं। सबसे बड़ा संकेत तब मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का बिहार दौड़ा टाला गया। प्रधानमंत्री का बिहार दौड़ा क्यों टाला गया और इसके पीछे की रणनीति क्या है, इसे समझना बेहद आसान है। पॉलिटिकल पंडित बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले बिहार आते तो निश्चित तौर पर उन्हें सीएम नीतीश को निशाने पर लेना पड़ता। लेकिन भाजपा अब वेट एंड वॉच के मूड में है। कहा यह भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए आमंत्रण आ चुका है। लेकिन उन्होंने अबतक पत्ता नहीं खोला है। अगर सीएम नीतीश राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होते हैं तो यह साफ हो जाएगा की भाजपा के साथ उनकी बढ़ रही नजदीकियों की खबरें सच हैं। बीजेपी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार की पार्टी के एक बड़े नेता जो सांसद भी हैं, वो खुद भाजपा से बातचीत कर रहे हैं। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि बातचीत अंतिम दौर में है। लेकिन पेंच चिराग पासवान पर फंसा है। बीते बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा (रामविलास) के चीफ चिराग पासवान ने जिस तरीके से नीतीश की पार्टी जदयू को भारी नुकसान पहुंचाया, उससे नीतीश अबतक खफा हैं। हालांकि, राजनीति में नफा और नुकसान का आकलन वर्तमान को देखकर किया जाता है।

सुशील मोदी को वापस लाने की मांग, जोड़ी तभी बनेगी?

भाजपा और जेडीयू से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने भाजपा के सामने एक बड़ी शर्त रखी है। शर्त ये कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) को बिहार भाजपा में वापस लाया जाए। तभी वे कंफर्ट होकर भाजपा के साथ काम कर पाएंगे। नीतीश की इस मांग के पीछे पॉलिटिकल पंडित कई तर्क देते हैं। सबसे बड़ा तर्क यह कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी बेहद पुरानी है। भाजपा के साथ चाहे नीतीश के रिश्ते जैसे भी रहे हों, लेकिन सुशील मोदी के साथ नीतीश के रिश्ते में खटास कम ही देखने को मिलती है। हालांकि, भाजपा ने सुशील मोदी की बिहार वापसी पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इसके पीछे की वजह यह भी है कि भाजपा का वर्तमान शीर्ष नेतृत्व यह नहीं चाहता कि बीजेपी बिहार में एक बार फिर से नीतीश की पिछलग्गू बनकर रह जाए।

सुशील मोदी के साथ जोड़ी बनाना चाहते हैं नीतीश

दावा : नीतीश को कुर्सी से हटाने की रची गई साजिश, ललन सिंह पर एक्शन

नीतीश कुमार ने सांसद ललन सिंह (Lalan Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर इंडी अलायंस को पहले ही नाराजगी के संकेत दे दिए थे। कहा जा रहा है कि इंडी अलायंस से तल्ख़ियां बढ़ते ही नीतीश ने सबसे बड़ी नाराजगी ललन सिंह को हटाकर जताई। ललन को हटाने के पीछे दो मायने निकाले गए। पहला ये कि ललन सिंह इंडी एलायंस के भीतर नीतीश कुमार को लेकर मजबूती के साथ पक्ष रखने में सक्षम साबित नहीं हुए। वहीं दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी कि ललन सिंह की नजदीकियां लालू परिवार से बेहद बढ़ रही थी। मीडिया ने तो यहां तक दावा किया कि ललन सिंह ने जदयू को तोड़ने की कोशिश भी की। इसके लिए 12 विधायकों की अलग से मीटिंग हुई। तैयारी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की थी। भाजपा नेताओं ने भी दावा किया कि ललन सिंह खुद डिप्टी सीएम बनने की चाह में नीतीश को कुर्बान करना चाहते हैं। लेकिन जिन 12 विधायकों के साथ बैठक हुई थी, उन्हें में से एक विधायक ने सीएम नीतीश को यह खबर दे दी कि आरजेडी उनके खिलाफ खिचड़ी पका रही है। लिहाजा, नीतीश कुमार ने बगैर देरी किए ललन सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

ललन सिंह व लालू परिवार में बढ़ती दूरियां भांप गए थे सीएम नीतीश

कांग्रेस ने किया नीतीश को दरकिनार, जेडीयू ने आरजेडी को फंसा दिया

इंडी गठबंधन के भीतर नीतीश की नहीं चल रही थी। नीतीश कुमार ने भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को काटने के लिए जातीय जनगणना का पासा फेंका था। पॉलिटिकल पंडित यह मान रहे थे कि नीतीश कुमार ने भाजपा के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। लेकिन कांग्रेस ने नीतीश के इस दाव को ही कमजोर कर दिया। नीतीश चाहते थे की इंडी गठबंधन उनके इस फैसले को देशभर में प्रचारित करे। मगर कांग्रेस (Congress) ने ऐसा नहीं किया। नीतीश को उम्मीद इस बात की भी थी की इंडी गठबंधन के पहले ही बैठक में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले प्रधानमंत्री के पद पर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)और लालू यादव (Lalu Yadav) ने नीतीश को रास्ते से हटा दिया। वहीं संयोजक के पद के लिए भी नीतीश को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया। ऐसे में नीतीश कुमार को यह समझते देर नहीं लगी कि उन्हें साइड किया जा रहा है। लिहाजा, नीतीश ने एक बार फिर से आरजेडी को परेशान कर दिया। जेडीयू ने लोकसभा चुनाव के लिए 17 सीटों की मांग की। राजद ने कहा कि बात कांग्रेस के साथ मिलकर फाइनल की जाएगी। वहीं नीतीश का साफ जवाब था कि हमारा गठबंधन राजद के साथ है। हम 17 सीट लेंगे। बाकी की सीटों पर राजद खुद कांग्रेस से डील करे।

लालू पर नाराज हैं तेजस्वी, नीतीश ने पोस्टर से भी उड़ा दिया

बिहार की सियासत को करीब से समझने वाले और राजद के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब महागठबंधन के लिए पीएम पद के नाम की घोषणा होनी थी, तब लालू यादव का चुप रहना बेहतर था। नीतीश कुमार को यह खबर मिल चुकी थी कि पीएम पद पर उनकी दावेदारी को किसने कमजोर किया। इसके बाद ही नीतीश कुमार आरजेडी पर नाराज हो गए। लिहाजा, तेजस्वी यादव ने लालू यादव को यहां तक कहा कि अगर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले जाते हैं तो आरजेडी सरकार से बाहर हो जाएगी। ऐसे समय में जब जांच एजेंसियां उनके पीछे पड़ी हैं और वह अगर सत्ता से बाहर हो गए तो मुश्किलें कई गुना बढ़ सकती हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव खुद लालू यादव से नाराज हैं।

पोस्टर से आउट हुए तेजस्वी

वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार लगातार आरजेडी को नाराजगी दिखा रहे हैं। इसके साफ संकेत शनिवार को उस वक्त भी मिले जब पटना के गांधी मैदान में बीपीएससी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र का वितरण किया जा रहा था। अमूमन नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाते नजर आते हैं। लेकिन शनिवार को शिक्षकों को दिए जा रहे नियुक्ति पत्र के दौरान लगाए गए बैनर से तेजस्वी यादव का गायब होना बहुत कुछ बयां कर रहा है। बहरहाल, अब देखना यह है कि खरमास के बाद होने वाले सियासी खेल में किसकी किस्मत खुलती है और किसकी कुर्सी खिसकती है।

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