Bihar Cabinet Decision के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का एक बड़ा चुनावी दांव सरजमी पर उतर आया है। प्रोमोशन की सूची सात साल बाद जारी हुई है।
लोकसभा चुनाव 2024 और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां राजनीतिक स्तर पर तो तेज है ही, राज्य की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार भी इस मोड में है। सरकार एक तरफ इस साल नई नियुक्तियों पर अभूतपूर्व फोकस कर रही है तो दूसरी तरफ 2016 से अटके राज्यकर्मियों की प्रोन्नति का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित केस के बावजूद निकाल लिया। 13 अक्टूबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मंत्रिमंडल (Bihar Cabinet Decision) बैठा तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आरक्षण के नाम पर लटकी प्रोन्नति की प्रक्रिया के लिए बीच का रास्ता निकाला। अब महज तीन दिन के अंदर प्रोन्नति की सूची (GAD Promotion List) भी जारी होने लगी है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD Bihar) की ओर से पहली दो सूची सोमवार शाम जारी हुई। पहली सूची में निम्नवर्गीय लिपिक को उच्चवर्गीय लिपिक (LDC to UDC) में प्रोन्नति दी गई, जबकि दूसरी में दो कार्यालय परिचारी को निम्नवर्गीय लिपिक (Peon to LDC) में प्रोन्नत किया गया।
देखें, प्रोन्नति पाकर कौन बने उच्च वर्गीय लिपिक
देखें, प्रोन्नति पाकर कौन बने निम्न वर्गीय लिपिक
रविवार को भी प्रोन्नति का काम हो रहा है, क्योंकि…
बिहार के नीतीश मंत्रिमंडल ने 13 अक्टूबर 2023 को प्रोन्नति का जो रास्ता खोला, वह विंडो दो महीने के लिए है। सरकार ने साफ किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में 17 प्रतिशत पदों को छोड़कर प्रोन्नति करेगी। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी अवैध करार दिया तो प्रोन्नति वापस ले ली जाएगी, हालांकि इस प्रोन्नति के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों को जो भुगतान होगा- वह वापस नहीं लिया जाएगा। चूंकि यह विंडो दो महीने के लिए ही खोला गया है, इसलिए मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद तेजी से इस दिशा में काम किया जा रहा है। सरकार ने रविवार को भी काम नहीं रोकने की बात कही थी और प्रोन्नति का पहला आदेश भी इसी रविवार को काम किए जाने के कारण आ सका है।
अबतक कार्यकारी प्रभार मिल रहा था, पद-पैसा नहीं
2016 से अबतक आरक्षण के नाम पर प्रोन्नति का मामला कोर्ट में है। इसलिए, पिछले सात साल से कर्मचारी और अधिकारियों को उच्चतर पद का कार्यभार तो मिलता गया, लेकिन प्रोन्नति नहीं मिली और न ही पैसा मिला। यह राज्य सरकार के कर्मियों और अधिकारियों पर लागू था। उदाहरण के लिए जिन लोगों ने जूनियर इंजीनियर के रूप में काम शुरू किया, उन्हें काम और वरीयता के आधार पर कार्यपालक और मुख्य अभियंता तक की जिम्मेदारी दे दी गई। लेकिन, प्रोन्नति पर रोक के कारण पद और वेतनमान नहीं मिला। पुलिस भी यही सिस्टम लागू है, जिसके कारण उच्चतर पद पर काम करने वालों को भी वेतन-पद का फायदा नहीं मिलता है।
0 comments
[…] का रास्ता (Bihar Cabinet Decision) खोला था। उसके बाद 16 अक्टूबर से ही प्रोमोशन की सूची जारी होने लगी। अब 26 अक्टूबर को पहली […]