JDU Party के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ की नीतियों के खिलाफ जदयू में भगदड़ थमने का नाम नहीं ले रही। अब नीतीश कुमार के करीबी पूर्व एमएलसी रणवीर नंदन ने इस्तीफा दे दिया।
पटना (बिहार)। जनता दल यूनाईटेड (JDU Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ से क्षुब्ध होकर पार्टी में एक और बड़ा इस्तीफा सामने आया है। इस बार भी इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी का है। जदयू ने पूर्व विधान पार्षद रणवीर नंदन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के भीतर खलबली मच गई है। रणवीर नंदन को कायस्थ वोटरों को समेटने के लिए जाना जाता था। ऐसे में यह पार्टी के लिए बड़ा झटका है। रणवीर नंदन ने अपने इस्तीफे में कारण का जिक्र नहीं किया है। लेकिन, रिपब्लिकन न्यूज से बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि “किसी सामान्य नेता की बातचीत में भी एक अच्छा लहजा जरूरी है और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तानाशाही बातें किसी इज्जतदार व्यक्ति के बर्दाश्त से बाहर होगी। यही मेरे साथ हुआ। सम्मान देते हुए सीएम ने साथ लाया था, लेकिन ललन सिंह के असम्मान की वजह से पार्टी छोड़ रहा हूं।”
एमएलसी नहीं बनाए नाराजगी के बावजूद टिके थे
रणवीर नंदन फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। लोग मान रहे हैं कि किसी सदन का सदस्य नहीं बनाए जाने के कारण भी रणवीर नंदन के इस्तीफे की वजह हो सकती है। लेकिन, यहां देखने वाली बात यह है कि उन्होंने विधान पार्षद नहीं बनाए जाने पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ा। रणवीर नंदन मीडिया की सुर्खियों में हैं। रणवीर नंदन सीएम नीतीश का गुणगान कर रहे थे और आज उनके इस्तीफे की खबर चौंकाने वाली है। चौंकाने वाली इसलिए भी क्योंकि रणवीर नंदन को पटना के कायस्थ वोटरों को समेटने के लिए जदयू ने जिम्मेदारी दे रखी थी। काफी हद तक वह इस प्रयास में भी सफल भी रहे थे। लेकिन, अचानक उनके इस्तीफे की खबर सामने आई है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या जदयू के भीतर सब कुछ सही नहीं है? अगर सही होता तो रणवीर नंदन जैसे जदयू के पुराने साथी पार्टी से इस्तीफा नहीं देते। रणवीर नंदन ने रिपब्लिकन न्यूज से जो कहा, वह तो साफ बता रहा है कि जदयू के अंदर खलबली की वजह ललन सिंह ही फिलहाल हैं। इससे पहले, उपेंद्र कुशवाहा ने भी ऐसी ही वजहों के कारण पार्टी छोड़ी थी।
मुख्यमंत्री की दखल पर ही इस्तीफा वापसी संभव
संभव है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस मामले में दखल दें। रणवीर नंदन जदयू के एमएलसी रहे हैं। पार्टी के लिए उन्होंने लंबे समय तक संघर्ष भी किया है। कायस्थ वोटरों को जेडीयू से जोड़ने के लिए उन्हें जाना जाता है। लेकिन इस कदर रणवीर नंदन का पार्टी से इस्तीफा देना जदयू में खलबली मचाने जैसी है खबर है। अब देखना यह है की रणवीर नंदन का यह इस्तीफा मंजूर होता है या नहीं। अगर इस्तीफा कायम रह जाता है तो पटना विवि में भी जदयू को बड़ा आधार खिसकना तय है, क्योंकि पीयू के छात्र संघ चुनाव के नीति-निर्धारकों में रणवीर नंदन हैं।