Happy Holi : बिहार में असली होली मनाने की विधि है। सनातन में जो लिखा है, उस हिसाब से कल होली मनाएंगे। देश के बाकी हिस्सों में आज है तो आज भी मना रहे हैं। वैसे, एक जगह तो गुरुवार को ही होली मना ली गई।
Holi 2025 : होली के गीत बज रहे, रंग भी खेल रहे… मगर होली पर पूजा करेंगे कल
बिहार के लोग आज भी जड़ से जुड़े हैं। भगवान सूर्य को मानते हैं। सबकुछ सूर्योदय पर निर्भर करता है। हर पर्व। और, होली (2025 Holi) में भी यही लागू हुआ है। चूंकि आज, यानी शुक्रवार को सूर्योदय के समय फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि थी और यह दिन होलिका दहन के नाम होता है। इसलिए, बिहार के ज्यादातर लोग शनिवार को होली (Holi 2025) मनाएंगे। फाल्गुन पूर्णिमा का प्रवेश कल रात 11 बजे के आसपास हो चुका था और आज रात तक यह तिथि नहीं थी, इसलिए गुरुवार की रात ही होलिका दहन हो गया। फगुआ आज है, लेकिन सनातन हिंदू के नव वर्ष पर कल 15 मार्च को होली (Happy Holi) होगी।
Happy Holi : बिहार में होली कल कहां थी? आज कहां मना रहे, कल होली कहां होगी?
बिहार के हर उस घर में होली कल मनाई जाएगी या होली पर डोरा पूजा या कुलदेवता की पूजा कल होगी, जो सूर्योदय के हिसाब से चलते हैं। मतलब, जिसका उदय, उसका अस्त मानते हैं। पूर्णिमा तिथि में आज सूर्योदय हुआ है तो अस्त भी उसी का माना जाएगा। इसके बावजूद, मिथिलांचल के एक बड़े हिस्से में फगुआ, यानी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होली मनाई जा रही है।
जहां नए संवत् (सनातन हिंदू नव वर्ष) के मौके पर रंगों का त्योहार मनाया जाता है, वहां कल होली होगी। वैसे, ऐसी ही अलग परंपरा के कारण सहरसा के बनगांव में होलिका दहन के पहले ही होली हो जाती है। मिथिलांचल से प्रभावित होने के बावजूद बेगूसराय में होली कल मनाई जा रही है। कोसी मिथिला से प्रभावित है, इसलिए इसके भी बड़े हिस्से में आज होली मनाई जा रही है। कल भी मनाई जाएगी। मगध, तिरहुत, सारण, पटना, पूर्णिया, कोसी, भागलपुर आदि के ज्यादातर लोग नव वर्ष, यानी प्रतिपदा पर कल होली मनाएंगे।
2025 Holi : प्रख्यात ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने होली पर क्या जानकारी दी?
बड़े राजनेताओं के राजनीतिक भविष्य की जानकारी देने के लिए चर्चित प्रख्यात ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार- “ऐसा प्रतीत होता है कि इस वर्ष भी होली दो दिन मनाई जाएगी, क्योंकि कुछ पंचांग 14 मार्च (शुक्रवार) को भी होली का संकेत दे रहे हैं।” वह बताते हैं कि पंचांगीय गणना के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च (गुरुवार) को लगभग सुबह 10 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च (शुक्रवार) को दिन में 11 बजे तक रहेगी।
इसी कारण गुरुवार (13 मार्च) की रात 10:37 के बाद भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका-दहन करना शास्त्र सम्मत था, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात्रिकालीन पूर्णिमा में ही होलिका-दहन करना श्रेष्ठ होता है। प्रतिपदा तिथि 15 मार्च (शनिवार) को दोपहर 01 बजे तक रहेगी। इसलिए होली मनाने का असल दिन शनिवार को है, क्योंकि उस दिन उदय तिथि में चैत्र प्रतिपदा है।
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डॉ. श्रीपति त्रिपाठी स्पष्ट कहते हैं- “सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा में ही होली (धूलिवंदन) मनाई जाती है, इसलिए 15 मार्च (शनिवार) को होली मनाना शास्त्रसम्मत होगा। धार्मिक कृत्यों का निर्णय पंचांगों के आधार पर किया जाता है, इसी कारण मेरा मत केवल 15 मार्च (शनिवार) को होली मनाने के पक्ष में है।”