Maha Kumbh Mela Free AI : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने जा रहे महाकुंभ 2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अनूठी जिम्मेदारी मिली है। दुनिया की 41 महत्वपूर्ण भाषाओं के अनुवाद से महाकुंभ में आने वालों को सहूलियत मिलेगी।
Kumbh Mela 2025 Date and Place : यूपी के प्रयागराज में सुविधाओं की तैयारी
सनातन हिंदू धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा मेला- कुंभ को धार्मिक तीर्थयात्रा में भी अलग महत्व मिला हुआ है। कुंभ मेला (Mahakumbh Mela) 12 वर्षों के दौरान चार बार लगता है। मेला (Kumbh Mela) स्थल चार पवित्र नदियों पर स्थित चार तीर्थस्थलों पर एक-एक कर होता है। हरिद्वार (उत्तराखंड) में गंगा नदी के तट पर, उज्जैन (मध्य प्रदेश) में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक (महाराष्ट्र) में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में पतित पावन गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती नदी के संगम पर। इस बार बारी प्रयागराज की है। महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) के लिए प्रयागराज में तैयारी जमीन पर आ चुकी है, क्योंकि अगले साल 13 जनवरी (Mahakumbh Date) में अब बहुत कम समय बचा है। खास बात यह है कि इसमें इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पहली बार ऐसा अनूठा उपयोग हो रहा है, जो बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहद मददगार साबित होगा।
Kumbh Mela : 41 भाषाओं का अनुवाद हिंदी-अंग्रेजी में होगा, ताकि मरीज न हों परेशान
कुंभ मेले में देश-दुनिया के कई तरह के भाषाभाषी लोग आते हैं। आने वालों में दक्षिण भारतीय राज्यों के वह श्रद्धालु भी होते हैं, जो भारत में रहते हुए हिंदी नहीं समझ-बोल पाते हैं। इसके अलावा, कई ऐसे देशों के भी लोग आते हैं, जिनकी भाषा भारत के डॉक्टर भी नहीं समझ पाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महाकुंभ प्रयागराज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ट्रांसलेशन की सुविधा वाले चिकित्सकीय कैंप की व्यवस्था की है। इन कैंपों में देश-दुनिया की 41 भाषाओं बोलने वाले लोग अपनी परेशानी स्वभाषा में बता सकेंगे।
Free AI : चिकित्सकीय कैंपों में 22 देसी भाषाओं के साथ 19 विदेशी भाषाओं का अनुवाद
डॉक्टर उसे हिंदी-अंग्रेजी में समझेंगे और फिर मरीज की भाषा में चिकित्सक की बताई जानकारी मिल जाएगी। एआई के इस उपयोग से देश की 22 भाषाओं के साथ 19 विदेशी भाषाओं को तुरंत हिंदी-अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर दिया जाएगा, ताकि मरीज की परेशानी तत्काल समझकर समाधान किया जा सके। दरअसल, यहां आईसीयू बेड के पास ही एआई ट्रांसलेटर की सुविधा मिलेगी। बेड के बगल में माइक होगा। मरीज अपनी भाषा में डॉक्टर को परेशानी बताएंगे और चिकित्सक अपनी भाषा में भी बोलेंगे तो मरीज को स्वभाषा में बात समझ आएगी। अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल देश के किसी अस्पताल में नहीं किया गया है।